सूरज को आना होगा

01-04-2023

सूरज को आना होगा

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 226, अप्रैल प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, सूर्य भ्रमण हो मेष। 
नवसंवत्सर हो शुरू, हर्ष विमर्श अशेष। 
 
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, मधुर हर्षमय भोर। 
नव संवत्सर आ गया, मधुमय नवल किशोर। 
 
ऋतु वसंत महका रही, नाना वर्णी फूल। 
ग्रीष्म ऋतु का आगमन, सबके है अनुकूल। 
 
नयी कोंपलें फूटतीं, प्रकृति नटी मन हर्ष। 
अन्न धान्य भरपूर हों, मिटें सभी अपकर्ष। 
 
युग सरिता यूँ बह रही, जैसे गंगा नीर। 
सृजन विसर्जन हो रहा, काल निरंतर धीर। 
 
संवत उन्यासी सुखद, राक्षस इसका नाम। 
शनि देव राजा बने, मंत्री गुरु सुख धाम। 
 
शांत सौम्य सुखकर रहे, नव संवत्सर वर्ष। 
विश्वशांति के साथ हो, मानव का उत्कर्ष। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

काव्य नाटक
कविता
गीत-नवगीत
दोहे
लघुकथा
कविता - हाइकु
नाटक
कविता-मुक्तक
वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
चिन्तन
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
सामाजिक आलेख
बाल साहित्य कविता
अनूदित कविता
साहित्यिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
कहानी
एकांकी
स्मृति लेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
व्यक्ति चित्र
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में