मैं लड़ूँगा

15-06-2023

मैं लड़ूँगा

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 231, जून द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)


मैं लड़ूँगा मेरा युद्ध
भले ही तुम कुचल दो 
मेरा अस्तित्व। 
 
तुम्हारी शोषण की वृत्ति को 
दूँगा चुनौती। 
ये जानकर भी कि तुम 
अत्यंत शक्तिशाली हो। 
 
तुमने न जाने कितनों को 
तहस नहस किया है। 
 
तुम्हारे अहंकार ने 
कितने ही अपनों का निगल लिया है। 
 
तुम्हारी विचारधारा ने 
कर दिया है कोंपलों को रक्तरंजित। 
 
तुम्हारी ग़ैरबराबरी की साज़िश ने 
कितनों को महरूम कर दिया है
उनके मौलिक अधिकारों से। 
 
न जाने कितने दलों में फैले हो तुम। 
अलग अलग मुखौटे लगाए। 
 
राष्ट्र के अंतिम छोर पर खड़ा गण
भटक रहा है ख़ूनी सड़कों पर। 
 
तुम्हारी ख़ूनी कूटनीति 
हड़प रही है ग़रीबों की रोटी। 
 
संसद में बेहोश पड़ा सच देता है
तुम्हारी क्रूरता की दुहाई। 
 
योग्यता के पैमाने 
वोटों के नीचे दबे कराह रहे हैं। 
 
मैं नहीं डरूँगा तुमसे 
तुम्हारी कुटिल चालों से। 
 
मुझे मालूम है 
तुम मुझे हरा दोगे
कुचल दोगे। 
मेरे जायज़ अहसास के अस्तित्व को। 
 
लेकिन मैं फिर भी लड़ूँगा
नहीं बैठूँगा तुम्हारे सामने घुटनों पर। 

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