कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - भटकाव

15-02-2023

कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - भटकाव

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 223, फरवरी द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

वन रूपी संसार में, जो भटका इंसान। 
छोड़ सत्य का साथ वह, बन जाता हैवान॥
बन जाता हैवान, भटकता हरदम रहता
रखता सुख की चाह, हमेशा पीड़ा सहता। 
कहता सत्य सुशील, भजो प्रभु को मन ही मन। 
दुःख सभी हों दूर, कटेगा कष्टों का वन॥

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सामाजिक आलेख
गीत-नवगीत
दोहे
काव्य नाटक
कविता
लघुकथा
कविता - हाइकु
नाटक
कविता-मुक्तक
यात्रा वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
चिन्तन
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
बाल साहित्य कविता
अनूदित कविता
साहित्यिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
कहानी
एकांकी
स्मृति लेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
व्यक्ति चित्र
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में