जीवन संघर्षों में खिलता अंतर्मन

01-08-2022

जीवन संघर्षों में खिलता अंतर्मन

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 210, अगस्त प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

जीवन में संघर्ष है प्रकृति के साथ, स्वयं के साथ, परिस्थितियों के साथ। तरह-तरह के संघर्षों का सामना आए दिन हम सबको करना पड़ता है और इनसे जूझना होता है। जो इन संघर्षों का सामना करने से कतराते हैं, वे जीवन से भी हार जाते हैं, जीवन भी उनका साथ नहीं देता। 

हर सफल इंसान की ज़िन्दगी में एक संघर्ष की कहानी ज़रूर होगी। तो संघर्ष से न डरे। यदि आप संघर्ष कर रहें हो तो समझ लीजिये आपकी सफलता दूर नहीं। संघर्ष का दूसरा नाम स्टीव जॉब्स है। अपने प्रारंभिक दिनों में जो संघर्ष उन्होंने किया वो वाक़ई में रोमांचित कर देने वाला है। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी होने पर स्टीव का दाख़िला हुआ रीड कॉलेज में, जिसकी फ़ीस बहुत ज़्यादा थी और स्टीव के माता-पिता बड़ी मुश्किल से ख़र्चा चला रहे थे। जल्द ही उन्हें एहसास हुआ की पढ़ाई में उनका मन नहीं लग रहा है और माता-पिता के पैसे भी बर्बाद हो रहे हैं इसलिए स्टीव ने फ़ैसला किया की वे कॉलेज छोड़ देंगे। एक ऐसा समय था जब स्टीव के पास बिलकुल पैसे नहीं थे, वे अपने दोस्त के कमरे में फ़र्श पर सोते थे, कोका-कोला की बोतलें बेचकर खाना खाते थे और हर रविवार सात मील चल के मंदिर जाते थे मुफ़्त में पेट भर खाना खाने। उन्होंने एक कंप्यूटर बनाया जिसे नाम दिया गया ‘एप्पल’ स्टीव के पापा के छोटे से गेराज में, दोनों ने अपना-अपना कुछ सामान बेचकर पैसे इकट्ठे किये और अपने जुनून को हक़ीक़त में बदला। और जब ये सब कुछ हो रहा था, स्टीव की उम्र मात्र 21 वर्ष थी। उन्होंने एप्पल कंप्यूटर को छोटा, सस्ता और ज़्यादा क्रियाशील बनाया। उनके टेक्नॉलोजी को क्रेताओं ने इतना पसंद किया कि दोनों ने मिलकर कई लाख डॉलर कमाये। 

जब आप जीवन में संघर्ष कर रहे हैं तो आंतरिक शान्ति बनाए रखना बहुत मुश्किल है। एक बात याद रखें जब चीज़ें हमारी सोच से अलग हो रही होती हैं तो वो हमारे भले के लिए ही होती हैं। बहुत ज़्यादा सोचने से हमारे जीवन में बहुत सारी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। उस समय, जब हम संघर्ष करते हैं तो बस एक काम करना चाहिए सब कुछ भगवान को छोड़ कर अपना कर्म पूर्ण निष्ठा से करते रहना चाहिए। ऐसा करने पर आप बहुत बेहतर महसूस करते हैं और आप निश्चित रूप से आपके जीवन में ख़ुशियाँ ला सकते हैं। 

हम अपने अंदर देखें और इस तथ्य को समझने की कोशिश करें कि जो हमारे साथ घट रहा है वह हमें बदल नहीं सकता। इन शब्दों को भी समझने की कोशिश करें कि जो कुछ भी आपके साथ होता है, वह आपकी बेहतरी के लिए है। “आप अविश्वसनीय हैं।” एक बार जब आप यह बात मान लेते हैं कि इस चिंतित चरण का नतीजा आपके बारे में कुछ भी नहीं बदलने वाला है, तो आप मज़बूत होंगे। अपनी ताक़त की नियंत्रण कुंजी आपके साथ है संघर्ष कठिन पाठ्यक्रम है लेकिन यदि आप आशा खो देते हैं और महसूस करते हैं कि आप पर इसका बुरा असर होता है तो आपका जीवन सबसे कठिन हो जाएगा। आप स्वयं और संघर्ष के बीच मध्यस्थता कीजिये आप पाएँगे कि आप तनाव से बाहर आने के बाद आंतरिक शान्ति महसूस कर रहे हैं। कुछ बातों को आपको आचरण में लाना होगा जैसे आप अपने भाग्य को स्वीकार करें और इसे बेहतर बनाने के लिए काम करें। अपने आप पर यक़ीन रखें और वर्तमान में जीने की कोशिश करें। 

मानव प्रगति न तो स्वचालित है और न ही अनिवार्य है। न्याय के लक्ष्य की ओर हर क़दम बढ़ने पर बलिदान, पीड़ा और संघर्ष की आवश्यकता होती है; अथक प्रयासों और अथक परिश्रम के साथ-साथ भावनाओं के टूटने का दर्द सहना पड़ता है तब कहीं सफलता का स्वाद मिलता है। सबसे सफल लोग, जिन्हें हम जानते हैं, उन्होंने हार, पीड़ा, संघर्ष, हानि, और उन गहराइयों से अपना रास्ता निकाला है जहाँ से सामान्य लोग झाँकने में भी ख़ौफ़ खाते हैं। 

एक बार एक बच्चे को अपने बग़ीचे में किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा। उसने देखा कि एक तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है, परन्तु बहुत प्रयास करने के बाद भी वह उस छेद से नहीं निकल पा रही और फिर वह बिल्कुल शांत हो गई, मानो उसने अपने प्रयासों से हार मान ली हो। उस बच्चे ने निश्चय किया कि वह उस तितली की मदद करेगा। उसने एक कैंची उठाई और तितली के बाहर निकलने के रास्ते को, कोकून के मुख को काटकर इतना बड़ा कर दिया कि वह तितली आसानी से बाहर निकल सके और यही हुआ, वह तितली बिना किसी संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर अब उसका शरीर सूजा हुआ था और पंख सूखे हुए थे। वह बच्चा अब तितली को यह सोचकर लगातार देखता रहा कि वह किसी भी वक़्त अपने पंख फैलाकर उड़ने लगेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, बल्कि इसके विपरीत हुआ। वह तितली कभी उड़ नहीं पाई और उसने अपनी बाक़ी ज़िन्दगी इधर-उधर घिसटते हुए बिताई। इस कहानी का सार है कि ज़िन्दगी बग़ैर संघर्ष के अपंग हो जाती है। 

एक बार यात्री कई महीनों के बाद एक समुद्री यात्रा से लौट कर एक दुकान में जाता है जहाँ वो अक़्सर खाना खाने जाता था। उसको देख कर वहाँ का मैनेजर हैरत में आ जाता है, बड़ी मुश्किल से वह उसे पहचान पाया। उस यात्री से उस मैनेजर ने पूछा, “ये तुम्हारे! पैर का क्या हुआ?” 

यात्री ने कहा, “मैं बिल्कुल ठीक हूँ, बस एक दुर्घटना हुई जिसमें, मेरे पैर खो गए थे, लेकिन यह कृत्रिम पैरों में उन असली पैरों से ज़्यादा मज़ा आ रहा है।” 

मैनेजर ने फिर पूछा, “ये आपके हाथ को क्या हुआ? इसमें ये हुक सा क्यों लगा है?”

यात्री बोला, “हम लोग तलवारबाज़ी कर रहे थे इसमें मेरी बायीं हथेली कट गई थी लेकिन यह हुक ठीक लग रहा है, बल्कि यह अधिक उपयोगी भी है।”

मैनेजर ने फिर पूछा, “अरे ये आपकी दाईं आँख को क्या हुआ?

यात्री बोला, “ये आँख मैंने अपने एक अंधे दोस्त को दे दी बेचारे के जीवन में एक नया सबेरा आ गया और मुझे भी उससे बहुत फ़ायदा हुआ है। अब मैं एक आँख के साथ बहुत अधिक ध्यान केंद्रित कर लेता हूँ।” 

मैनेजर उसके आशावादी दृष्टिकोण से हतप्रभ था। 

कहानी का सार यह है कि जीवन के प्रति आपकी धारणा ही आपको नरक का संघर्ष या स्वर्ग की ख़ुशियों का अहसास कराती है सब कुछ आप पर निर्भर करता है। 

पिछले दिनों गूगल सीईओ (सुंदर पिचाई) ने अपने अल्मा माटर का दौरा किया और आईआईटी-खड़गपुर में छात्रों के साथ बातचीत दौरान उन्होंने छात्रों से कहा कि अगर आप कुछ चुनौतीपूर्ण कार्य के लिए तैयार हैं और आप अपने सबसे अच्छे क़दम उठाते हुए भी सफल नहीं हो रहे हैं तो उस असफलता के दर्द को महसूस करिये, वहीं से आपकी सफलता की राहें निकलेंगी, यह दर्द आपको संतुष्टि और शान्ति की भावना देता है।”

उन्होंने कहा कि “मैंने जीवन में कई असफलताओं को देखा है मेरे साथ वो हुआ जो मैंने कभी नहीं सोचा था लेकिन मैं हमेशा आशावादी रहने की कोशिश करता हूँ और विश्वास करता हूँ कि जब स्थिति हमारे नियंत्रण नहीं है तो उसके साथ सामंजस्य बैठाया जाये। जीवन हर एक के लिए गुलाबों से सजा बिस्तर नहीं है और हमें परिस्थितियों से संघर्ष करके ही जीना है। हमें प्रतिकूल परिस्थितयों का सामना करते हुए संघर्ष का सम्मान करना चाहिए। यदि आप आशावादी हैं तो आप समस्या का पता लगाने की कोशिश करेंगे और किसी को दोष दिए बिना और रोये बिना इस पर काम करने की कोशिश करेंगे। आप दूसरों के लिए विफल हो सकते हैं लेकिन आप स्वयं में आंतरिक रूप से दृढ़ बन रहे होते हैं।” 

संघर्ष शान्ति देता है हर सफल व्यक्ति का जीवन कभी न कभी संघर्षपूर्ण रहता है। हम इस बात से भी इंकार नहीं कर सकते कि ज़िन्दगी का दूसरा नाम संघर्ष है। इसलिए आज के युवा वर्ग को यह बात समझनी होगी कि सही दिशा में की गई कड़ी मेहनत, विपरीत परिस्थितियों एवं असफलताओं की लंबी रात के बाद ही सफलता का सूर्योदय होता है। 

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