नरसिंह अवतरण दिवस पर दोहे

15-05-2022

नरसिंह अवतरण दिवस पर दोहे

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 205, मई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

कश्यप ऋषि दिति से हुए, हिकश्यपु हिरण्याक्ष। 
पुत्र भक्त प्रह्लाद के, थे अति प्रिय कमलाक्ष। 
 
रखें शत्रुता ईश से, दोनों कपट कराल। 
विष्णु नाम से चिढ़ रखें, दोनों नर भूपाल। 
 
पृथ्वी की रक्षा करी, ले वराह अवतार। 
हिरण्याक्ष हन्ता बने, हरा धरा का भार। 
 
हिरण्यकश्यप मन बसा, मात्र एक ही ध्येय। 
ब्रह्माजी से वर लिया, बना अमोघ अजेय। 
 
अस्त्र शस्त्र से नहिं मरूँ, नहिं दिन में नहिं रात। 
नहिं मनुष्य पशु से मरूँ, ना कोई आघात। 
 
स्वर्ग धरा पाताल को, करके वह अधीन। 
लोकों का अधिपति हुआ, इन्द्रासन आसीन। 
 
पुत्र भक्त प्रह्लाद के, श्री विष्णु आराध्य
सुत की भक्ति से डरा, किया उसे भी बाध्य। 
 
हाथी के पैरों तले, डाला सुत प्रह्लाद। 
पर्वत से फेंका उसे, सुत मन था आल्हाद। 
 
अग्नि दहन कर होलिका, ले सुत को निज गोद। 
भक्त निरंतर ले रहा, विष्णु नाम का मोद। 
 
नरसिंहम श्री जी बने, सुनकर भक्त पुकार। 
कश्यपु को क्षण में हना, ले कराल अवतार। 

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