सायली छंद - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - चाँद

15-09-2022

सायली छंद - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - चाँद

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 213, सितम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

सायली छंद

1.
मेरे
चाँद के 
टुकड़े टुकड़े कर
मुस्कुराता है
बेदर्दी। 
2.
चाँद
कल निकला
छत जगमग हुआ
अमावस भी
हैरान। 
3.
चाँद
तुम्हारा चेहरा
दोनों एक से
क्या है
रिश्ता। 
4.
चाँद
भूखे पेट
चलता रहता है
रात भर
अकेला। 
5.
रोटी
मुनिया की
लगती है बिलकुल
चाँद जैसी
गोल। 

सुशील शर्मा

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