कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - काशी

01-11-2022

कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - काशी

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 216, नवम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

धारे हैं काशी शिवा, निज त्रिशूल की नोक। 
त्रिगुणमयी शाश्वत सदा, शिव ज्योतिर्लिंग लोक। 
शिव ज्योतिर्लिंग लोक, सनातन अक्षर काया। 
ज्ञान भक्ति वैराग्य, सर्व सत शिव की माया। 
अखिलेश्वर शिव धाम, पाप को काशी मारे। 
मोक्ष परम का धाम, नाथ जग काशी धारे। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

लघुकथा
कविता-मुक्तक
स्वास्थ्य
स्मृति लेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
कविता
खण्डकाव्य
सामाजिक आलेख
दोहे
सांस्कृतिक आलेख
ऐतिहासिक
बाल साहित्य कविता
नाटक
साहित्यिक आलेख
रेखाचित्र
चिन्तन
काम की बात
गीत-नवगीत
कहानी
काव्य नाटक
कविता - हाइकु
यात्रा वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
अनूदित कविता
किशोर साहित्य कविता
एकांकी
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
व्यक्ति चित्र
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में