बाल हनुमान पर दोहे

15-09-2025

बाल हनुमान पर दोहे

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 284, सितम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)


1. 
बाल रूप चंचल चपल, तेज शौर्य की खान। 
सूरज सदृश तेजस्विता, श्री हनुमत पहचान॥
2. 
वायुपुत्र का तेज है, पर्वत सम आकार। 
क्रीड़ा में भी है छिपा, सेवा का विस्तार॥
3. 
उड़ कर के आकाश में, सूरज को फल जान। 
भक्ष्य किया रवि कौर में, हाहाकार विधान॥
4. 
वन जीवों से मित्रता, सबका लेकर साथ। 
श्री अंजनि के पुत्र ने, थामा प्रभु का हाथ। 
5. 
हनुमत बाल स्वरूप में, बल है अपरंपार। 
करुणा से मन है भरा, हृदय प्रेम उद्गार॥
6. 
ऋषि वचनों की सीख से, पाए सुंदर कर्म। 
साहस, सेवा, मन विनय, सजता जीवन धर्म॥
7. 
लीलाएँ अद्भुत करी, हरते सब की पीर। 
बालरूप में भी रहा, मन ज्ञानी गंभीर। 
8. 
तेजस्वी, मन के सरल, जैसे मंद समीर। 
पंच तत्त्व के सार तुम, अंजनि सुत रणवीर। 
9. 
राम हेतु ही जन्म है, जय बजरंग प्रवीर। 
राम कार्य के हेतु तुम, जय रण रंग अधीर॥
10. 
जय बल बुद्धि विशाल तुम, जय जय वायु कुमार। 
जय हनुमत बल वीर तुम, राम भक्ति आगार॥

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
सांस्कृतिक आलेख
चिन्तन
लघुकथा
व्यक्ति चित्र
किशोर साहित्य कहानी
कहानी
कविता - क्षणिका
दोहे
सांस्कृतिक कथा
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
सामाजिक आलेख
ललित निबन्ध
कविता - हाइकु
साहित्यिक आलेख
कविता-मुक्तक
गीत-नवगीत
स्वास्थ्य
स्मृति लेख
खण्डकाव्य
ऐतिहासिक
बाल साहित्य कविता
नाटक
रेखाचित्र
काम की बात
काव्य नाटक
यात्रा वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
अनूदित कविता
किशोर साहित्य कविता
एकांकी
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में