प्रेम पर दोहे

01-10-2025

प्रेम पर दोहे

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 285, अक्टूबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)


1
प्रेम वही जो प्राण में, भरता जीवन रंग। 
मन के गहरे ताल में, भरता नई उमंग। 
2
आँसू में भी अर्थ हो, शूलों में मुस्कान। 
प्रेम वही जो पीर में, दे जीवन का दान। 
3
मन का दीपक जल उठे, व्याकुल मन हो शांत। 
प्रेम कोकिला स्वर सुने, मिटता मन से क्लांत। 
4
प्रेम हृदय बसता सदा, भावों का अनुबंध। 
प्रेम शब्द से है परे, आत्म विलय सौगंध। 
5
परिभाषा है प्रेम की, जीवन में हो त्याग। 
स्वार्थ गणित से दूर है, प्रेम ईश अनुराग। 
6
यश, धन सब मिट्टी मिलें, प्रेम अमर पहचान। 
खो जाए जो प्रेम में, वह पाता भगवान। 
7
नज़रों से ओझल रहे, फिर भी रहता पास। 
हृदय तार से जो जुड़ा, प्रेम वही है ख़ास। 

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