आँखों का तारा

01-05-2021

आँखों का तारा

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 180, मई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

"सर प्लीज़ मेरे बेटे को भर्ती कर लीजिये, उसकी हालत बहुत ख़राब है, उसे साँस लेने में बहुत तकलीफ़ है, शहर में सारे अस्पताल भरे हैं कोई लेने के लिए तैयार नहीं है प्लीज़ सर मेरा इकलौता बेटा है आप पैसों की चिंता न करें मैं पूरा पैसा दूँगा बस उसे बचा लीजिये," रमेश ने रोते हुए डॉक्टर से कहा।

"देखिये घबराइए नहीं मैं देखता हूँ अस्पताल में बेड ख़ाली हैं या नहीं, आप यहीं बैठिये," डॉक्टर ने रमेश को ढाढ़स देते हुए कहा।

डॉक्टर अंदर जाकर मैनेजर से पूछता है, "कोई बेड ख़ाली है पेशेंट बहुत सीरियस है।"

"डॉक्टर बेड ख़ाली तो है पर विधायक जी का फोन आया है उनके रिश्तेदार को भर्ती करना है। साथ ही उन्होंने कहा है रेमेडिसेवियर इंजेक्शन बचा के रखना अपने पास; सिर्फ़ दो इंजेक्शन बचे हैं," मैनेजर ने बहुत धीमे स्वर में कहा।

"लेकिन ये मरीज़ बहुत सीरियस है अगर इसे भर्ती न किया गया तो ये बचेगा नहीं," डॉक्टर के चेहरे पर बेबसी के भाव थे।

"अगर इसे भर्ती कर लिया तो हमारी नौकरी नहीं बचेगी। ऐसे तो हर दिन कितने मर रहें हैं एक और सही," मैनेजर ने सपाट स्वर में कहा।

डॉक्टर नज़र नीची करके गेलेरी से निकला। "क्यों सर मेरे बेटे को बेड तो मिल जायेगा न?" रमेश लगभग डॉक्टर के क़दमों पर ही झुक गया।

"सॉरी मैं कुछ नहीं कर सकता बेड ख़ाली नहीं है," डॉक्टर तेज़ी से गैलरी में बढ़ गया उसकी आँखों में आँसू झलमिला रहे थे।

एक चीख़ ने डॉक्टर को पीछे मुड़ने पर मजबूर कर दिया।

डॉक्टर ने देखा रमेश की आँखों का तारा इस दुनिया को छोड़ कर जा चुका था।

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