मैं तुम ही तो हूँ

15-12-2024

मैं तुम ही तो हूँ

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 267, दिसंबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

मैं
तुम्हारे मन की
एक तस्वीर हूँ
कभी देखना मुझे
प्यार के अहसास से। 
 
तुम्हारे तन की वह
मोहक सुगंध हूँ
जो निकलती थी
जब तुमने पाया था
अपना सोलहवाँ साल
कभी सूँघना
प्यार के अहसास से। 
 
तुम्हारे प्यार का
सतरंगी स्वप्न हूँ
जो तुमने देखा था
जब तुम्हारे यौवन ने
ली था प्रथम अंगड़ाई
कभी देखना मुझे
प्यार के अहसास से। 
 
मैं
वो रिश्ता हूँ
जो तुम्हारे देह के रिश्तों से इतर
तुम्हारे साथ हूँ जन्मों से
कभी फ़ुर्सत मिले
देह के रिश्तों से
तो निभाना मुझे। 
प्यार के अहसास से। 
 
मैं
तुम्हारी ही वो छवि हूँ
जिसे तुम देखना चाहती हो
पर देह के रिश्तों से बँधी
डरती हो ज़माने से
कभी देखना स्वयं को
मन के आईने में
प्यार के अहसास से। 
 
तुम वही हो
जो मैं हूँ
मैं वही हूँ
जो तुम हो
बस एक महीन रेखा है
कभी लाँघ सको तो
लाँघ लेना, स्वयं को पाने के लिए
प्यार के अहसास से।

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