बस तू ही तू

15-03-2023

बस तू ही तू

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 225, मार्च द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

तेरा चेहरा
तेरा वुजूद 
अब इबादत है। 
तेरा साथ
तेरा ही नाम 
अब आदत है। 
 
हर गीत में 
संगीत में 
तेरी आहट है। 
हर अक्स में 
हर शख़्स में 
तेरी बनावट है। 
 
कविता ग़ज़ल शायरी में
तेरे ही अक्स 
उभरते हैं। 
तेरी ही यादों से
दिल के घाव
भरते हैं। 
 
तेरा ही नाम
तेरा ही अक्स
तेरा ही तराना है। 
तू ही मैं
मैं ही तू
बस इतने
क़रीब आना है। 
 
तू सदा हर जगह
हर शै में
छाया रहा। 
नाम तेरा ही 
अब इस दिल में
समाया रहा। 
 
हर जनम
हर जगह
हर वजह
तू मिले। 
सुख रहे
दुःख रहे
नेह तेरा खिले। 
 
रहे मन सदा
तेरे आग़ोश में। 
रास ऐसी रचा
आऊँ न होश में। 
 
बिना तेरे न मुझमें
अब कुछ है बचा। 
सारी दुनिया में बस
तू ही मुझको जँचा। 
 
नाम तेरा जपूँ
फिर न कुछ याद हो। 
तुझसे आगे न कुछ
न कुछ तेरे बाद हो। 
 
देह छूटे अगर
प्राण उत्कर्ष हो। 
साथ तेरा रहे
बस ये निष्कर्ष हो। 

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