गुरु पर दोहे–03

15-07-2025

गुरु पर दोहे–03

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 281, जुलाई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

(गुरु पूर्णिमा पर विशेष-सुशील शर्मा) 
 
गुरु ज्ञानी गुरु ब्रह्म हैं, देते सच्चा ज्ञान। 
दूर करें अज्ञान सब, गुरु की कृपा महान॥
 
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु सम, गुरु हैं देव महेश। 
गुरु बिन ज्ञान न होत है, गुरु ही हैं परमेश॥
 
गुरु पद शीश नवाइए, गुरु पद सदा प्रणम्य। 
गुरु की कृपा कटाक्ष से, मिटते पाप अक्षम्य॥
 
अंधकार ये जग सकल, गुरु दीपक की जोत। 
सही मार्ग दर्शित करें, जब मन विचलित होत॥
 
संकट में यदि शिष्य हो, गुरु करते निर्वाण। 
मृत्यु निकट आती नहीं, गुरु रक्षित हों प्राण। 
 
गुरु वाणी ही ब्रह्म है, जो सुनता धर ध्यान। 
भवसागर से पार हो, मिलें उसे भगवान॥
 
समझे जो गुरु ज्ञान को, उसका बेड़ा पार। 
बिना गुरु के ज्ञान के, व्यर्थ लगे संसार॥
 
गुरु पोषक हैं शिष्य के, जो सींचे नित ज्ञान। 
शिष्य सुमन जैसे खिलें, करके गुरु का ध्यान॥
 
गुरु श्री ब्रह्म समान हैं, गुरु ही मन के मीत। 
गुरु ही जीवन सार है, गुरु ही सच्ची जीत॥
 
व्यास पूर्णिमा पर्व पर, गुरु को करो प्रणाम। 
जीवन हो सुखमय सदा, सफल बनें सब काम॥

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