इस बार की होली में

01-04-2021

इस बार की होली में

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 178, अप्रैल प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

इस बार की होली
कुछ यूँ मनाते हैं।
किसी दुखियारे के घर
बैठ आते हैं।

है पलाश भी उदास
आसमान चुप है।
जलता दीपक पर
अँधेरा घोर घुप है।

कोरोना मुकरा है
उसे हम भगाते हैं।

रोज़गार छूट रहे
रँग सब काले से
भौंरे गीत भूले
अश्रु परनाले से।

ऊँघ रहीं सरकारें
चलो जगाते हैं।

हुरयारे घर बैठे
सड़कें वीरानी।
चौपटी व्यवस्था की
मीडिया बखानी।

आज फिर चुनाव में
मत डाल आते है।  

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