कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - श्रम एवं कर्मठ जीवन

15-07-2025

कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - श्रम एवं कर्मठ जीवन

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 281, जुलाई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)


1.
साथी श्रम अपनाइए, श्रम है सुख की खान, 
सुख-संपति इससे मिले, श्रम है धर्म विधान। 
श्रम है धर्म विधान, लक्ष्य सब इससे मिलते। 
मिलता मन संतोष, फूल ख़ुशियों के खिलते। 
आलस को तज आज, पाल लो श्रम का हाथी। 
कठिन भले हो राह, सत्य पथ चल रे साथी। 
2.
जीवन में कर्मठ रहो, मिलता यश गुणगान। 
मिले सफलता सुख मिले, मिलता भाग्य विधान। 
मिलता भाग्य विधान, मंज़िलें उसको मिलतीं। 
जीवन उज्ज्वल गान, सफलताएँ मन खिलतीं। 
मन क्रम वचन पवित्र, सत्य से सुरभित तन मन। 
विजय मिले सर्वत्र, रहे जो कर्मठ जीवन। 

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