मित्रता पर दोहे–02

15-08-2025

मित्रता पर दोहे–02

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मित्र वही सच्चा सदा, जो संकट में साथ। 
सुख-दुख की हर राह में, पकड़े रहता हाथ॥ 
 
प्यारा बंधन मित्रता, मित्र आत्म संगीत। 
जीवन-पथ पर साथ दे, बन कर मन का मीत॥ 
 
सुख में संग अनेक हैं, कष्ट संग बस मित्र। 
पीड़ा में जो साथ दे, सच्चा मित्र चरित्र॥ 
 
स्वार्थ, झूठ की मित्रता, यदि मन में हो द्वेष। 
ज़्यादा दिन चलती नहीं, क्लेश हृदय अवशेष॥ 
 
मित्र बिना जीवन दुखद, हर पल लगे फ़ुज़ूल। 
मित्र रहे तो राह के, हर कंटक हों फूल॥
 
दर्पण जैसी मित्रता, जीवन की सौग़ात। 
सच्चाई मुँह पर कहे, करे मित्र हित बात॥ 
 
संगति से प्रिय मित्र की, निखरे मन व्यक्तित्व। 
आँखों में प्रिय मित्र की, ईश्वर का अस्तित्व॥ 
 
नेह और विश्वास ही, मूल मंत्र हैं मित्र। 
झूठ द्वेष की छाँव में, बिगड़े मित्र चरित्र॥ 
 
मित्र वही जो बाँट ले, सुख दुख सारे साथ। 
मैं हूँ तेरे पास में, कह कर थामे हाथ॥ 
 
फूलों-सी हो मित्रता, मिले सुगंधित संग। 
सतरंगी जीवन करे, ख़ुशियाँ भर दे अंग॥ 
 
मित्र दिवस पर हम कहें, सब मिलकर यह बात। 
सच्ची निष्ठा मित्रता, जीवन की सौग़ात॥ 

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