बेचारा गोलू

01-02-2020

बेचारा गोलू

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 149, फरवरी प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

बाल दोहे

 

मम्मी ने हँसकर कहा, उठ जा मेरे लाल।
आज नहा ले तू ज़रा, धोले अपने बाल।

 

हुए पाँच दिन आज तक, पानी से तू दूर।
एक बार अस्नान कर, ठण्ड भगे काफूर।

 

मम्मी देखो ठंड में, जमे नदी तालाब
चारों तरफ़ से उठ रहा, कोहरे का सैलाब।

 

इतनी निष्ठुर मत बनो, मन में रख लो धीर।
आज नहाने मत कहो, ठंड बड़ी बेपीर।

 

हाथ जोड़कर आपसे, विनती करूँ हुज़ूर।
आज नहाना छोड़ कर, सज़ा सभी मंजूर।

 

स्वच्छ सफ़ाई से सदा, बुद्धि दे भगवान।
एक नहीं अब चल सके, कर लो तुम अस्नान।

 

उठो अभी इस वक़्त ही, भले विकट हो ठण्ड।
वर्ना मम्मी से पड़े, कड़ी डाँट का दंड।

 

बेचारा गोलू उठा, नहीं गली फिर दाल।
काँपे तन मन ठण्ड से, नहा रहा बेहाल।

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