होली

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 178, अप्रैल प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

खुशियों की बौछार है, होली रंग बहार।
हर चेहरा रंग में रँगा, प्रेम मिलन त्यौहार।
 
गोरी गाल गुलाल हैं, गाये फागें गीत।
है उन्मत्त उमंग मन, तन मन छाई प्रीत।
 
पिचकारी में भर लिए, मन के रंग हज़ार।  
मतवाली टोली चली, बरसे रंग फुहार।
 
बरसाने मोहन चले, श्यामल कान्त सुहास ।
छवि युगल रंग में रँगी, कमल भ्रमर आभास।
 
लिपटे लाल गुलाल सब, पिचकारी की धार।
कृष्ण, लली रंग में रँगे, होली मस्त बहार।  

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