गणतंत्र दिवस

01-02-2022

गणतंत्र दिवस

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

कुण्डलिया छंद


 1.
पावन ये गणतंत्र है, संविधान आधान। 
है विकास पथ सामने, चलते सीना तान। 
चलते सीना तान, देश का गौरव गाते। 
अनगिन हैं संघर्ष, वीर कब क्यों घबराते। 
रखें देश का मान, हृदय से है अभिनंदन। 
इसको नमन सुशील, देश का कण-कण पावन। 
 
2.
सीना छलनी है मगर, होंठों पर मुस्कान। 
अंतिम साँसों तक लड़े, फिर जीवन बलिदान। 
फिर जीवन बलिदान, शत्रु की सेना मारी। 
शत्रु हुआ हैरान, एक था दस पर भारी। 
माँ पर सब क़ुर्बान, यही सच्चा है जीना। 
भारत माँ के लाल, खड़े हैं ताने सीना। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सामाजिक आलेख
कविता
लघुकथा
कविता-मुक्तक
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
दोहे
सांस्कृतिक आलेख
ऐतिहासिक
बाल साहित्य कविता
नाटक
साहित्यिक आलेख
रेखाचित्र
चिन्तन
काम की बात
गीत-नवगीत
कहानी
काव्य नाटक
कविता - हाइकु
यात्रा वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
अनूदित कविता
किशोर साहित्य कविता
एकांकी
स्मृति लेख
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
व्यक्ति चित्र
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में