चंद्रशेखर आज़ाद

01-03-2022

चंद्रशेखर आज़ाद

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 200, मार्च प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

जन्म भाभरा में हुआ, जगरानी थीं मात। 
पंडित सीताराम घर, जन्मा चंद्र प्रभात। 
 
भील बालकों संग में, पला बढ़ा था वीर। 
शेरों के सँग खेल कर, ख़ूब चलाए तीर। 
 
जलियाँवाला बाग़ में, हुआ घोर संहार। 
भारत के हर युवा का, शस्त्र क्रांति आधार। 
 
असहयोग का जब हुआ, बापू का फ़रमान। 
सड़कों पर थे सब युवा, मन संकल्प महान। 
 
गिरफ़्तार शेखर हुए, आंदोलन का दौर। 
पंद्रह बेंत शरीर पर, मिली सज़ा सिरमौर। 
 
बेंत पड़े जब पीठ पर, शेखर करे किलोल। 
भारत माता हो अमर, बस निकले मुख बोल। 
 
लाला का बदला लिया, कर सांडर को ढेर। 
राजगुरु शेखर भगत, थे भारत के शेर। 
 
केंद्र सभा में बम चले, हुआ विकट विस्फोट। 
बटुकेश्वर श्री दत्त सँग, करी भगत ने चोट। 
 
भगत, दत्त को जब मिला, फाँसी का फ़रमान। 
आँसू में सब बह गए, शेखर के अरमान। 
 
करें मंत्रणा पार्क में, बैठे थे आज़ाद। 
बाबर ने आकर किया, गोली से संवाद। 
 
अंतिम दम तक वो लड़ा, बची नहीं उम्मीद। 
ख़ुद को गोली मार कर, शेखर हुए शहीद। 
 
सत्ताइस थी फरवरी, सन इकतीस सुधन्य। 
अंतिम यात्रा पर गए, शेखर रत्न अनन्य। 

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