जीवन संघर्ष 

15-09-2025

जीवन संघर्ष 

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 284, सितम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)


1
कठिन राह, 
पग डगमगाए
फिर भी बढ़ें
 
2
आँसू छिपाए
होंठों पर मुस्कान
लड़ता रहूँ। 
 
3
संध्या की धुँध, 
टिमटिमाती बाती
आशा की ज्वाला। 
 
4
थके क़दम, 
आगे बढ़ते रहे
स्वप्नों की ओर। 
 
5
कँटीली राह, 
रक्त से भीगे पाँव
धैर्य का फूल। 
 
6
अँधेरे कौने, 
एक अकेला दीप
रात से लड़ा। 
 
7
हार सामने, 
भीतर का साहस
हारना मना। 
 
8
टूटी आशाएँ, 
जुड़ती हैं आँसू से
नये संकल्प। 
 
9
गहरी झंझा, 
जड़ें जुड़ीं गहरी
पेड़ अडिग। 
 
10
साँस है शस्त्र 
जीवन की लड़ाई
जीत तुम्हारी। 

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