बोलती कविता

01-04-2022

बोलती कविता

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 202, अप्रैल प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

(विश्व कविता दिवस पर) 
 

कविता एक पेंटिंग है
एक चित्र जो बोलता है
एक कविता वही कहती है। 
जो उसे कहना चाहिए
कविता कभी वह नहीं कहती
जो उसे नहीं कहना चाहिए। 
 
कविता मौन भी है
चीख भी है। 
कविता अकेलेपन का सन्नाटा 
और भीड़ का शोरगुल है। 
कविता नीम भी है
ईख भी है। 
 
कविता संगीत है
सिर्फ़ उन सात स्वरों का ही नहीं
उन मद्धिम अबोल सिसकियों का भी
जो बारूद की आग में
मिसायलों के वेग में
भूखी रातों में दम तोड़ देतीं हैं। 
कवितायें टूटे मन
टूटे तन बिखरते जीवन
को भी जोड़ देतीं हैं। 
 
कविता हमें रहस्य से बाहर निकाल कर
बताती है कि स्वयं को
अँधेरों में मत धकेलो। 
कविता बताती है कि अंधानुकरण
और अज्ञानता को मत झेलो। 
कविता बताती है कि
बाहर की ओर मुख करने का
समय आ गया है, 
पूर्ण कमल की स्थिति में
खुली आँखों से, 
मुँह खोलने का समय आ गया है। 
 
कविता सिखाती है कि
औद्योगिक सभ्यता
पृथ्वी और मनुष्य के लिए
हानिकारक है। 
कविता बताती है कि संवेदनाएँ मर रहीं हैं
सभी संवेदनशील प्राणियों के लिए
ये समय बहुत मारक है। 
 
आज कवितायें भटक रहीं हैं भाव से दूर
कटे-फटे अव्यहारिक यथार्थवादी
शयनकक्ष में कल्पनाशील
जो एसी में बैठकर
मज़दूरों की विडम्बनाएँ लिखते हैं। 
जो एजेंडा बना कर तंत्र के साथ
या तंत्र के विरोध को
उत्साहित करते हुए दिखते हैं। 
 
कविता सिर्फ़ कविता है और कुछ नहीं
कविता माता का संतान को जन्म देना है। 
कविता एक सतत जलधारा है जो
बहती है समुद्र में मिल जाने तक। 
कविता मानवीय भावनाओं
और मनोदशाओं को
पढ़ना और प्रकट करना है। 
एक चट्टान को
सुंदर भगवान में तराशना है
एक बड़े कैनवास पर
पेंटिंग करना है। 
 
कविता निर्वाण के लिए
ध्यान यात्रा है। 
कविता जीवन को उसके सभी रंगों
और रोशनी में जीवंत करने की
अनुमापन मात्रा है। 
कविता उतार चढ़ाव, 
सुख और दुख का चित्र है
कविता शान्ति और आनंद का
अनुभवी मित्र है। 
 
कविता का उद्देश्य हमें याद दिलाना है
कितना मुश्किल है
सिर्फ़ एक इंसान रहना। 
कवितायें हमें अनंत आकाश सी
विस्तारित करतीं हैं। 
कविताएँ हमें
असहनीय दबाव में केवल
आशा की ओर संचारित करतीं हैं। 

कविता स्वयं में खो कर
स्वयं को ढूँढ़ने का पथ है। 
कविता मृत्यु पर विजय प्राप्त करने
का शौर्य रथ है। 

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