बहिन काश मेरी भी होती

01-09-2021

बहिन काश मेरी भी होती

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

बहिन काश मेरी भी होती
कर जाती रक्षाबंधन।
 
मुझसे अपनी ज़िद मनवाती
हँसती गाती गुड़िया-सी।
रूठ ऐंठ कर मुझे बुलाती
प्यारी सोनी चिड़िया-सी
 
राखी बाँध मुझे ख़ुश होती
उसका करता मैं वंदन।
 
सपनों के आकाश सजाती
ख़ुशियों से घर को भरती।
सीधे दिल से वो जुड़ जाती
झरने जैसी वो झरती।
 
रिश्तों को हरदम महकाती
बन कर जीवन का चंदन।  
  
कभी दोस्त बन खुशियाँ देती
माता बन के सहलाती।
रक्षाबंधन के दिन बहना
मुझसे मिलने आ जाती।
 
कभी सुता बन नेह लुटाती
बाँध नेह का गठबंधन।

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