कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - गंगा

01-05-2025

कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - गंगा

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 276, मई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)


 
कल–कल करती धारिका, पावन निर्मल धार।
कहे पुरातन सब कथा , गंगा अमृत–सार।
गंगा अमृत–सार, सप्त स्वर में जल गायन।
छू ले तन मन तार, करे तन मन का शोधन।
कह सुशील कविराय, जपो गंगा को पल पल
गंगा जीवन सार, बहे निर्मल जल कल कल।

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