कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - हिन्दी दिवस विशेष

15-01-2020

कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - हिन्दी दिवस विशेष

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 148, जनवरी द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

कुण्डलिया छंद
(हिंदी दिवस पर विशेष )

 

1.
लहराती द्युति दामनी, घोल मधुरमय बोल।
हिन्दी अविचल पावनी, भाषा है अनमोल।
भाषा है अनमोल, कोटि जन पूजित हिंदी।
फगुवा रंग बहार, गगन में चाँद सी बिन्दी।
कह सुशील कविराय, प्रेम रंग रस बरसाती।
कोकिल अनहद नाद, तरंगित मन लहराती।

2.
हिंदी भाषा दिव्य है, स्वर्ग सरिस संगीत।
हिन्दी ने ही रचे हैं, दिव्य काल गत गीत।
दिव्य काल गत गीत, रची तुलसी की मानस।
संस्कृत का आधार, लिए हिन्दी का मधुरस।
कह सुशील कविराय, मातु के माथे बिन्दी।
नेह नयन अनुराग, समेटे सबको हिन्दी।

3.
हिन्दी ही व्यक्तित्व है, हिन्दी ही अभिमान।
हिन्दी जीवन डोर है, हिन्दी धन्य महान।
हिंदी धन्य महान, राष्ट्र की गौरव भाषा।
चेतन चित्त विभोर, हृदय की चिर अभिलाषा।
आदि अनादि अमोघ, मध्य जिमि नारी बिन्दी।
सुंदर सुगम सरोज, हमारी प्यारी हिंदी।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

काव्य नाटक
कविता
गीत-नवगीत
दोहे
लघुकथा
कविता - हाइकु
नाटक
कविता-मुक्तक
वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
चिन्तन
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
सामाजिक आलेख
बाल साहित्य कविता
अनूदित कविता
साहित्यिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
कहानी
एकांकी
स्मृति लेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
व्यक्ति चित्र
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में