फूला हरसिंगार

01-01-2022

फूला हरसिंगार

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 196, जनवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

आज फिर एक बार
फूला हरसिंगार। 
 
चला गया दिसंबर
दर्द नाप नाप कर। 
वेदना ख़ूब बिकी
हर्फ़ छाप छाप कर। 
 
सिसकी संवेदना
आँसुओं की पनार। 
 
खिड़की से झाँकता
किया करे पुष्पदान। 
भीगा हारिल हिया
मणिनील गंध-मान। 
 
शिव के भालेंदु का
जावकमय शृंगार। 
 
मृत्यु के अनुक्रम में
उपक्रम शृंगारी। 
प्रीतिदग्ध प्राण की
बेकली बेहारी। 
 
प्रेम की अनंतता
प्रीतिपात्र अभिसार। 

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