तुम और मैं

15-08-2023

तुम और मैं

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 235, अगस्त द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

तुम्हारा प्रेम
सुबह की उजली भोर
मेरी चाह
गौ-धूलि की ढलती शाम। 
 
तुम्हारा मन
विस्तृत आकाश
मेरा मन
कुलाँचे भरता हिरण। 
 
तुम्हारी देह
सितारों से टँका आसमान
मेरा तन
पहाड़ी नदी। 
 
तुम्हारी सोच
जीवन की सम्पूर्णता
मेरी सोच
सिर्फ़ तुम। 
 
तुम्हारी कल्पना
सम्पूर्ण रिश्ते
मेरी कल्पना
मेरी तुम। 
 
तुम
रिश्तों से बँधी चुप
मैं
तुमसे जुड़ा बोलता। 
 
तुम्हारे लिए मैं
फूल पर भँवरा
मेरे लिये तुम
छत पर चमकता चाँद। 
 
तुम
प्यार
मैं
विश्वास। 
 
मेरा तुम्हारा रिश्ता
तुम्हारे लिए
टाकीज़ में चलती फ़िल्म
मेरे लिए
एक अनहद कविता। 

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