नया वर्ष

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 197, जनवरी द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

चला गया वो वर्ष सितमगर
जिसने सबको बहुत रुलाया। 
 
मज़लूमों को अस्पताल में
डरते देखा मरते देखा। 
अपनी ही लाशों को रख कर
हमने उन्हें सिसकते देखा। 
 
आँखों में हमने उन सबकी
देखा मौत ख़ौफ़ का साया। 
 
रिश्ते कटते फटते देखे
ईमानों को बिकते देखे। 
मानवता को खोते देखा
सिंहासन को सोते देखा। 
 
ऑक्सीजन की घोर कमी में
जीवन फिरता था पथराया। 
 
नया वर्ष शुभ मंगल मय हो
नई कोंपलें आशा वाली। 
नई चेतना दिव्य क्षितिज पर
सब के घर में हो ख़ुशहाली। 
 
भावों के उर्मिल सागर में
नया वर्ष ख़ुशियाँ भर लाया। 

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