मुझे ‘बहने दो’!

15-06-2025

मुझे ‘बहने दो’!

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 279, जून द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

महिमा एक जलविज्ञान शोधकर्ता थी। 

गाँव के बीच से बहती नदी को ‘डैम’ में बाँधने की योजना आई। 

गाँव वाले उत्साहित थे—“बिजली आएगी!”

महिमा ने पूछा “क्या तुमने नदी से पूछा कि वो बँधना चाहती है?” 

लोग हँस दिए। 

महिमा ने पुराने पेड़ों, जलचर और मिट्टी की कहानी सुनाई और दिखाया कि किस तरह बाँधने से नदी मर जाती है, सिर्फ़ बहाव ही उसका जीवन है। 

आज वह गाँव नदी को उसकी स्वतंत्रता के साथ जीने देता है, आसपास की जगह में लोगों ने तालाब बनवा लिए अब नदी स्वतंत्र बहती है और उन्हें हर साल उपज से आशीर्वाद देती है। 

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