जीवन

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 276, मई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

गिनती की साँसें मिलीं, जीवन है विश्राम। 
कर्मों की गठरी बँधी, फिर यात्रा अविराम। 
 
धूप-छाँव सुख-दुख रहें, जीवन की ये रीत। 
धैर्य हृदय में धार लो, हर मुश्किल में जीत। 
 
मिट्टी का ये तन रखे, मत कर तू अभिमान। 
दो पल की है ज़िन्दगी, बूँद बुलबुला जान। 
 
मन में आशा दीप रख, भले समय विपरीत। 
उम्मीदों के पंख से, निश्चित होती जीत। 
 
समय रतन अनमोल है, हर क्षण काल समर्थ। 
बीता पल लौटे नहीं, मत खोना तुम व्यर्थ। 
 
रिश्ते सब अनमोल हैं, सुख देते हर काल। 
प्यार और विश्वास से, रखो जतन से पाल। 
 
वाणी में रस घोल कर, बोलो मीठे बोल। 
कड़वे वचनों को तजो, बन जाओ अनमोल। 
 
कर्म सदा पूजन बने, फल की मत कर आस। 
कर्त्तव्यों के पथ चलो, मन ईश्वर का वास। 
 
सीखो दुनिया से सबक़, हर अनुभव है ज्ञान। 
गिरकर उठना ही सदा, सच्चा जीवन मान। 
 
छोटा हो या हो बड़ा, हर जीवन अनमोल। 
प्रेम और सम्मान से भर दे, मन भर सबसे बोल। 

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