मिट्टी का घड़ा

01-05-2023

मिट्टी का घड़ा

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 228, मई प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


(अतुकान्तिका) 

एक मिट्टी का घड़ा
तुम्हारे लिए हो सकता है
बेकार वस्तु
जिसे एक सरसरी निगाह
डाल कर तुम निकल जाते हो
यह सोच कर की
शुद्ध वाटर कूलर का
मिनरल पानी है तुम्हारे घर में। 
 
चिलचिलाती धूप में
अपनी झोंपड़ी के बाहर
चाक पर कँपकँपाते
बूढ़े हाथों से तैयार
उस घड़े में शामिल है
दो वक़्त की रोटी की आशाएँ
उसमें बिंधी है
गिरती झोंपड़ी की चिंता
पर साथ में है
श्रम के साथ जीने की ललक। 
 
तो क्यों न इस गर्मी में
तुम बन जाओ
किसी के जीवन के सहारे
एक छोटी सी सहायता 
जो तुम्हारे चाय पान
के ख़र्च से भी छोटी है। 
 
एक मिट्टी के घड़े में
समाहित हैं
कुछ जीवन, कुछ आशाएँ
कुछ सरोकार
जिनसे तुम्हारा भी एक रिश्ता है
इंसानियत का। 

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