हर हर गंगे

01-08-2021

हर हर गंगे

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 186, अगस्त प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

सदियों से निर्मलता देता 
गंग धार का पानी। 
 
हँसती इठलाती सी चलती
मन उमंग को धारे ।
गंगा की अविरल धारा में 
बहते चाँद सितारे।
हिम शिखरों से बहती धारा
उज्ज्वल निर्मल रूपा।
शिव अलकों से झर झर गिरती
ब्राह्मी रूप अनूपा।
 
रुनझुन रुनझुन धवल तरंगें
पहनें चूनर धानी।
 
चपल धवल गिरिराज किशोरी
विष्णु पदी कहलाए।
पाप विमोचन अविरल धारा
मन संत्रास मिटाए।
भारत भू को पावन करती
गंगा जीवन रेखा।
सत सहस्त्र वर्षों से सबने
अविरल बहता देखा।
 
मोक्षदायिनी मुक्तिवाहिनी
सरिताओं की रानी।

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