कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - आशा, संकल्प

01-08-2022

कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - आशा, संकल्प

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 210, अगस्त प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

1.
आशा

आशा का सूरज उगा, नयी मधुर है भोर। 
अंधकार को चीर कर, मिला सुपथ का छोर। 
मिला सुपथ का छोर, नवल नित उर्जित मन है। 
नया आत्मविश्वास, प्रफुल्लित अब जीवन है। 
दुश्मन भी अब दोस्त, दूर अब घोर निराशा। 
जीवन में उत्कर्ष, दिलाती मन की आशा। 


2.
संकल्प

तन-मन संकल्पित हुआ, नहीं कठिन फिर काम। 
सभी कार्य पूरे करें, बिना लिया विश्राम। 
बिना लिए विश्राम, कठिन कितना भी पथ हो। 
कंटक पथ हों घोर, सफलता का या रथ हो। 
चलते चलो सुशील, जियो संकल्पित जीवन। 
पूर्ण सभी हों कार्य, खिले फूलों सा तन-मन। 

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