होत कबड्डी होत कबड्डी

01-12-2025

होत कबड्डी होत कबड्डी

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 289, दिसंबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)


(भारत की बेटियाँ मिट्टी की महिमा, भारत की विजय) 
  
कबड्डी
यह केवल खेल नहीं, 
यह साँसों की तपस्या है, 
मिट्टी से उठती हुई
एक अडिग प्रतिज्ञा है। 
 
भारत की बेटियाँ
जब मैदान में उतरीं, 
तो लगा
मानो धरती ने
अपने सबसे सशक्त स्वर
उनके भीतर रख दिए हों। 
 
ताइपे की चुनौती
कठिन अवश्य थी, 
पर कठिनाई
उनके साहस का विलोम कभी नहीं रही। 
 
कबड्डी . . . कबड्डी . . . 
के मंत्र में
उनकी धड़कनें
युद्धवीर की तरह थिरकती रहीं। 
 
पकड़ में दृढ़ता, 
क़दमों में संतुलन, 
श्वास में मंत्र, 
दृष्टि में विजय की रेखा
सब कुछ
एक ताल, एक लय में बँधा
मानो भारत का आत्मविश्वास
रूप धारण कर मैदान में उतर आया हो। 
 
ताइपे की हर चाल
वे पढ़ लेतीं
जैसे प्रतिद्वंद्वी की कठोरता के भीतर
छिपा भ्रम
उन्हें पहले से ही ज्ञात हो। 
 
जब आख़िरी पॉइंट
भारत की मुट्ठी में आया, 
तो लगा
पूरा मैदान
एक साथ ‘जय’ का उद्गार बन उठा है। 
 
उनकी विजय
सिर्फ़ एक ट्रॉफी नहीं, 
यह वह पल है
जब मिट्टी
अपनी संतानों पर गर्व करती है। 
 
यह वह क्षण है
जब दुनिया स्वीकार करती है
भारत की कबड्डी केवल खेल नहीं, 
एक विरासत है, 
एक परंपरा है, 
एक अदम्य जिजीविषा है। 
 
बेटियो, 
तुम्हारी जीत
हमारे मन का उत्सव है। 
तुम्हारे साहस ने
आज तिरंगे को हवा के सबसे ऊँचे शिखर पर
नवगान सा फहरा दिया है। 
 
धन्य हो
तुमने सिद्ध कर दिया
कि जो खेल
मिट्टी से जन्म लेता है, 
वह विश्व को
अपनी ताक़त पर नतमस्तक कर ही देता है। 
 
भारत की कबड्डी, 
भारत की बेटियाँ, 
भारत की विजय
जय, जय, जय! 

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