चुम्मन चाचा की होली

15-03-2023

चुम्मन चाचा की होली

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 225, मार्च द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)


(कुण्डलिया छंद)

1.
होली में पी कर गए, चाचा चुम्मन भंग। 
नाली में उल्टे पड़े, लिपटे कीचड़ रंग। 
लिपटे कीचड़ रंग, नहीं सुध-बुध है तन की। 
लटके झटके नाच, ख़ूब कर ली है मन की। 
लिए हाथ में रंग, आज चाची भी बोली। 
हे प्राणों के नाथ, खेलते आओ होली। 
2.
चाचा चुम्मन लोट कर, करते सद्यः प्रणाम। 
शरमा कर चाची छुपी, करें राम हे राम। 
करें राम हे राम, इन्हें अब क्या है सूझी। 
पीकर भंग तरंग, करें ये बात अबूझी। 
नहीं पियेंगे भंग, हारते आज त्रिवाचा। 
फिर मित्रों के संग, भाँग पीते हैं चाचा। 

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