कृष्ण चरित्र-संघर्ष की अप्रितम गाथा

01-09-2022

कृष्ण चरित्र-संघर्ष की अप्रितम गाथा

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 212, सितम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

 (जन्माष्टमी पर विशेष) 

 

वर्षों से मैं सोचता हूँ कि कृष्ण को किस रूप में याद करूँ, क्या कृष्ण भगवान् हैं, क्या राजनीति के पंडित हैं, क्या समाज सुधारक हैं, क्या प्रेम की सर्वोत्कृष्ट अभिव्यक्ति हैं, क्या वो योगेश्वर हैं, क्या विश्व गुरु हैं? वो राम जैसे आदर्श पुरुष तो नहीं पर राम से कम भी नहीं है। उनके चरित्र का विश्लेषण सामान्य मानवीय अभिव्यक्ति से परे है जहाँ राम का चरित्र राजनीति, उच्चवर्ग एवं राजसी परिवारों का आत्म मंथन है वहीं कृष्ण का चरित्र राजनीति, कूटनीति से लेकर समान्य मानवीय संबंधों का उच्चतम विश्लेषण है। कृष्ण का जीवन सामान्य मानवीय मूल्यों की शिक्षा से अनुप्राणित था और ‘गीता’ में उसी शिक्षा का प्रतिपादन उनके ही माध्यम से किया गया है। कंस के कारागार में अपने माता-पिता की अति विषम परिस्थितियों में श्री कृष्ण का अवतरण हुआ अतः हम कह सकते हैं कि संघर्ष कृष्ण के डीऐनए में था। 

अपने जनक की जीवटता का साक्षात्‌ प्रमाण अनुभव किया था कृष्ण ने उफनती यमुना में वासुदेव को अपनी संतान की जान बचाते हुए कृष्ण ने अनुभव किया था, अपनी सात संतानों को अपने सामने मरते हुए देखने वाली वज्र हृदया अपनी माँ देवकी से कृष्ण ने कठिन से कठिन पलों को मुस्कुराते हुए जीने की कला पाई थी। 

कृष्ण का अर्थ ही है खींचने वाला उनका चरित्र रहस्य और विस्मय युक्त दिव्यता लिए हुए है। कृष्ण एक बहुत बड़े मनोवैज्ञानिक थे अर्जुन की मानसिक वेदना का निदान सिर्फ़ कृष्ण ही कर सकते थे दूसरा कोई नहीं। 

कृष्ण ने हमेशा सत्ता के मद का विरोध किया चाहे वो सत्ता कंस की हो या दुर्योधन की, उन्होंने सदा पोषित राजनीति का विरोध किया एवम एक अजेय योद्धा की भाँति सामाजिक क्रांति के प्रेणता बने। 

एक आदर्श राजनीतिज्ञ, सर्वश्रेष्ठ संगीतज्ञ, पर्यावरण के संरक्षक, आदर्श मित्र एवम सर्वश्रेष्ठ प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए कृष्ण सदियों तक आदर्श पुरुष रहेंगे। 

इस जन्माष्टमी पर हम कृष्ण को इसलिए याद करें कि उनके चरित्र में आज के युग की सभी समस्याओं का हल छुपा है, हम उन्हें याद करें क्योंकि उन्होंने हमें सिखाया है कि युद्ध से सर्वनाश होता है उन्होंने सिखाया है कि पोषित राजनीति हमेशा हमें ग़ुलाम बनाती है उन्होंने सिखाया कि प्रेम का कोई विकल्प नहीं है। 

उन्होंने सिखाया कि प्रकृति के साथ समन्वय ही मनुष्य के अस्तित्व की जीवनी है। 

कृष्ण चरित्र संघर्ष की गाथा है जिसमें एक सामान्य मनुष्य ईश्वरत्व प्राप्त कर सकता है। 

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