नारी ‘तुम मत रुको’!

15-06-2025

नारी ‘तुम मत रुको’!

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 279, जून द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

शिवानी एक सिंगल मदर थी। 

दफ़्तर में लोग कहते, “बहुत बोझ उठाती हो, कभी रुक भी जाओ।”

उसने मुस्कराकर कहा “मैं बोझ नहीं उठाती, मैं अपने बच्चे का भविष्य सँवार रही हूँ।”

हर कठिनाई को उसने सीढ़ी बनाया, हर ठोकर को पाठशाला। 

आज वही शिवानी महिलाओं को स्वरोज़गार सिखा रही है। 

नारी सिर्फ़ सहन नहीं करती, 

वो अपनी परिस्थितियों को आकार देती है। 

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