शस्य श्यामली भारत माता

15-08-2022

शस्य श्यामली भारत माता

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 211, अगस्त द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

(देशभक्ति गीत)
 
मेरे भारत के चरणों में
जीवन सदा निसार है। 
कोटि कोटि कंठों से निकले
एक यही स्वर धार है। 
 
है पवित्र वीरों की धरती
बलिदानों की आन है। 
है सर्वोच्च त्याग की धरती
जीवन का अभिमान है। 
उच्च हिमालय मुकुट बना है
सिंधु चरण पखारता
धरती इसकी रत्न सुगर्भा
नभ भी इसे दुलारता
 
विश्व शिरोमणि भारत मेरा
जीवन का आधार है। 
 
शस्य श्यामली भारत माता
संस्कृति की खान है। 
उच्च विचारों की जननी है
कोटि जनों का मान है। 
प्रथम सभ्यता यहाँ पली है
शुरू यहाँ विज्ञान है। 
सभी धर्म हैं यहाँ सुरक्षित
सब जीवों का मान है। 
 
सभ्याचरण मौन मुखरित है
शान्ति सत्य आचार है। 
 
भिन्न भिन्न फूलों से सजता
भारत का उद्यान है। 
शान्ति सुरक्षा समावेशिता
न्याय का अति सम्मान है। 
हर मानस के मन में बसते
कर्म और कर्तव्य हैं। 
देशप्रेम संग शान्ति सुरक्षा
हम सबके मंतव्य हैं। 
 
नव विकास के पथ पर हम चलते
सृजनशील व्यवहार है। 

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