आवाज़ दो हम एक हैं

01-05-2025

आवाज़ दो हम एक हैं

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 276, मई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

(पहलगाम घटना पर आधारित नाटिका) 

 

नोट: इस नाटिका के सभी पात्र काल्पनिक हैं इनका वास्तविक घटना से कोई साम्य नहीं है। 

 

दृश्य 1: पहलगाम का रक्तरंजित सन्नाटा

 

स्थान: जम्मू-कश्मीर, पहलगाम–एक सुंदर पर्यटक स्थल
स्थिति: शाम का समय, पर्यटकों की चहल-पहल के बीच अचानक आतंकियों का हमला

 

पात्र:

1. राजीव मेहता – पर्यटक, दिल्ली से
2. रीता – एक नवयुवती जिसकी अभी शादी हुई है
3. अमरनाथ गुप्ता – वरिष्ठ नागरिक, बनारस से
4. इम्तियाज़ मलिक – आतंकी गिरोह का मुखिया
5. यूसुफ़ – आतंकी
6. भीड़ – पर्यटक, बच्चे, जवान

 

 (प्रवेश: मंच पर रंग-बिरंगे कपड़ों में पर्यटक, कैमरा क्लिक, हँसी, गाइड समझा रही है। एक किनारे से चार, पाँच संदिग्ध व्यक्ति आते हैं, हथियार छुपाए हुए) 

 

राजीव मेहता (हँसते हुए):

“कश्मीर वाक़ई जन्नत है . . . ये वादियाँ, ये ठंड . . . बस यहीं बस जाएँ!”

रीता, (एक नवयुवती जिसकी अभी शादी हुई है):

“कहते हैं, जब ईश्वर ने धरती पर फ़ुर्सत में कोई जगह बनाई तो वो पहलगाम ही था . . .”

अमरनाथ गुप्ता:

“बचपन में आया था, आज पोते के साथ आया हूँ . . . फिर वही सुकून, वही शिव की हवा . . .”

 

(इम्तियाज़ और यूसुफ़ चुपचाप प्रवेश करते हैं—एकदम शांत, फिर अचानक गोलियाँ चलती हैं–अफ़रा-तफ़री मच जाती है) 

 

यूसुफ़ (चिल्लाते हुए):

“नाम बताओ! मज़हब बताओ! कौन है हिंदू, कौन है मुसलमान?” 

 

(भीड़ में चीखें, बच्चे रोते हुए भागते हैं। इम्तियाज़ हिंदुओं को एक ओर करने का आदेश देता है) 

 

इम्तियाज़ मलिक (निर्दयता से):

“जिसने कलमा नहीं पढ़ा, वो जन्नत का हक़दार नहीं! क़त्ल करो सबका!”

राजीव (काँपते हुए):

“मैं टूरिस्ट हूँ . . . इंसान हूँ . . . धर्म क्यों देख रहे हो?” 

यूसुफ़:

“तू काफ़िर है! बोल–‘ला इलाहा इल्लल्लाह’!”

राजीव:

“मेरे राम मेरे साथ हैं . . . मैं झुकूँगा नहीं!”

 

 (गोली की आवाज़ . . . राजीव गिरता है। अमरनाथ गुप्ता बचाव करता है, पर वह भी मारा जाता है) 

 

रीता (एक मृतक की पत्नी, आँखों में आँसू):

“आप लोग इस्लाम का नाम लेकर इंसानियत को कलंकित कर रहे हो! अल्लाह कभी क़त्ल को जन्नत नहीं कहता!”

इम्तियाज़ (क्रोध में):

“जा जा तुझे बख्शते है जाकर अपने प्रधानमंत्री से कह देना बहुत उठा पटक कर रहा है न सब भुला देंगे।” 

 

(एक तरफ़ से सभी आतंकी फ़ायर करते हैं सभी हिंदू युवक मारे जाते हैं, भीड़ तितर-बितर, मंच पर मृत देहें, बच्चे चीखते हैं। पार्श्व में एक स्त्री की चीख—“मेरा पति बचाओ . . .!”) 

 

(लाइट्स धीमी होती हैं, एक समाचार वाचक का स्वर उभरता है)

 

“आज शाम पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 24 हिंदू पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी गई। आतंकियों ने धर्म पूछ कर नरसंहार किया। ये हमला पाकिस्तान प्रायोजित ग़ज़्वा-ए-हिंद की भयावह कड़ी माना जा रहा है . . .”

 

(दृश्य समाप्त–मंच अंधकारमय, पृष्ठभूमि में धीमी करुणा संगीत) 

 

 

दृश्य 2: संसद से सड़क तक–न्याय की पुकार

 

स्थान: दिल्ली–संसद भवन का विशेष सत्र और बाहर विरोध प्रदर्शन का दृश्य
स्थिति: पहलगाम हमले के अगले दिन। मीडिया में हलचल, संसद में हंगामा, और देशभर में आक्रोश। 

 

पात्र:

 

1. स्पीकर महोदय – संसद सत्र के संचालक
2. आर.के. त्रिपाठी – विपक्ष के वरिष्ठ नेता
3. सलमा नसीर – देशभक्त सांसद
4. मीडिया एंकर – तन्वी मल्होत्रा
5. कॉलेज छात्र नेता – कबीर वर्मा
6. (अन्य: सांसदों की आवाज़ें, विरोध करती जनता की भीड़, बैनर लेकर खड़ी आम जनता) 

 

(प्रवेश–संसद भवन का मंच, एक ओर सांसदों की सीटें, दूसरी ओर मीडिया स्टुडियो का कोना। बीच में सड़क पर आम नागरिकों का हुजूम) 

 

स्पीकर महोदय (घंटी बजाते):

“शांति बनाए रखें! ये सदन देश की सुरक्षा पर चर्चा कर रहा है . . .!”

आर.के. त्रिपाठी (गंभीर स्वर में):

“माननीय अध्यक्ष महोदय! ये केवल सुरक्षा में चूक नहीं थी–ये भारत की आत्मा पर हमला था। आतंकियों ने न सिर्फ़ गोली चलाई, बल्कि धर्म के नाम पर इंसानियत को चीर डाला!”

मोहन राव सांसद (आक्रोश में):

“सरकार चुप नहीं बैठी है। पहले ही हाई लेवल मीटिंग हो चुकी है। हम सभी सांसद आज इस हमले की निंदा करते हैं, धिक्कार है पाकिस्तान, ये जिहाद नहीं, जहालत है!”

 

(पार्श्व में–जनता ‘फाँसी दो, फाँसी दो!’ के नारे लगाती है) 

 

मीडिया एंकर तन्वी मल्होत्रा (कैमरे की ओर):

“देश आज सवाल पूछ रहा है—क्या हमारे नागरिक धर्म के आधार पर मरने को मजबूर हैं? क्या पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने यूएन की रिपोर्ट से भी बड़े सबूत नहीं हैं?” 

सड़क पर छात्र नेता कबीर वर्मा माइक सँभालते हैं:

“आज का युवा जानता है—ये सिर्फ़ गोलियों की लड़ाई नहीं, विचारधारा की लड़ाई है! हमें 'ग़ज़्वा-ए-हिंद' के मंसूबे समझने होंगे!”

भीड़ में नारे:

“भारत एक था, एक है, एक रहेगा!”
“हिंदू-मुस्लिम भाईचारा ज़िंदाबाद!”
“पाकिस्तान मुर्दाबाद!”

स्पीकर महोदय:

“सदन प्रस्ताव पारित करता है—आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए हर सम्भव क़दम उठाए जाएँगे, और पाकिस्तान से जवाब तलब किया जाएगा।”

सांसद (भावुक होकर):

“अगर इस्लाम के नाम पर ख़ून बहाया गया तो आज क़ुरान रो रही है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है—हम न रियायत देंगे, न रहम!”

तन्वी मल्होत्रा (अंतिम संवाद):

“देश अब ख़ामोश नहीं है। संसद गरज रही है, सड़कें उबल रही हैं—और एक संदेश साफ़ है: ‘भारत आतंक के ख़िलाफ़ युद्ध में उतर चुका है।’”

 

(पार्श्व में राष्ट्रगान की पृष्ठभूमि ध्वनि, मंच का धीमा अंधकार) 

 

 

दृश्य 3: राख से उठती चिंगारी

 

स्थान: दिल्ली का एक अस्पताल परिसर–शोक-संतप्त परिजन, मीडिया, पुलिस सुरक्षा
स्थिति: पहलगाम हमले के मृतकों के शव दिल्ली लाए गए हैं, परिवारों में शोक और आक्रोश व्याप्त है। 

 

पात्र:

 

1. शारदा देवी – राजीव की माँ
2. नीलम गुप्ता – अमरनाथ गुप्ता की बहू
3. डीसीपी अरविंद राठौर – पुलिस अधिकारी
4. स्वाती मिश्रा – मानवाधिकार कार्यकर्ता
5. राजवीर सिंह – पूर्व सैनिक, समाजसेवी
6. (परिजन, पत्रकार, डॉक्टर – पार्श्व में) 

 

(प्रवेश–मंच पर शवों के ताबूत, चारों ओर लोगों की भीड़। शारदा देवी एक ताबूत से लिपटी रो रही हैं) 

 

शारदा देवी (क्रंदन करते):

“राजीव . . . तू तो कहता था माँ, अबकी बार पूरी यात्रा कराऊँगा। अब कौन लाएगा तेरे बूटों की खनक? किसके लिए जीऊँ?” 

नीलम गुप्ता (बच्चे को पकड़ती):

“बाबूजी कहते थे–‘अमरनाथ के दर्शन से पाप कटते हैं।’ पर वहाँ तो धर्म के नाम पर जीवन ही कट गया . . .”

डीसीपी अरविंद राठौर (कठोर स्वर में):

“हमने एनआईए की टीम भेज दी है। हम नहीं छोड़ेंगे उन भेड़ियों को–पाकिस्तान चाहे जो कहे, भारत अब माफ़ नहीं करेगा!”

स्वाती मिश्रा:

“आज मानवाधिकार रो रहा है—उन मासूमों के लिए जिन्हें सिर्फ़ इसलिए मारा गया कि वे किसी ‘और मज़हब’ से थे। ये सिर्फ़ हमला नहीं, ये नस्लीय सफ़ाया है!”

राजवीर सिंह (गंभीर, दृढ़ स्वर):

“मैंने कारगिल में दुश्मनों के सीने चीर दिए थे, पर आज जो दर्द है . . . वो कहीं गहरा है। हम सबको अब सिर्फ़ आँसू नहीं, कार्रवाई की भाषा बोलनी होगी।”

शारदा देवी (आँखें पोंछती हैं, स्वर बदले):

“मेरा राजीव मरा नहीं है . . . वो ज़िन्दा रहेगा हर उस बेटे में जो अब आतंक के ख़िलाफ़ खड़ा होगा। मेरी कोख सूनी नहीं—अब देश मेरी कोख है!”

नीलम (बच्चे से):

“बोल बेटा–जय हिंद!”

बच्चा (धीरे, मासूमियत में):

“जय हिंद . . . पापा के लिए!”

 

(पृष्ठभूमि में एक धीमा करुण गीत: ‘तेरे बिना सूनी है धरा . . . ’ चलता है। मंच पर एक दीप जलता है—आशा और प्रतिशोध की लौ) 

 

(दृश्य समाप्त–मंच पर मौन, प्रकाश धीरे-धीरे मंद होता है) 

 

दृश्य 4: पाकिस्तान का पर्दाफ़ाश–भारत की वैश्विक हुंकार

 

स्थान: दिल्ली – एक प्रमुख मीडिया स्टुडियो और संयुक्त राष्ट्र महासभा का दृश्य
स्थिति: भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के आतंकवाद के प्रति सख़्त रुख़ को सामने लाना, मीडिया में सनसनी, और वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की तैयारी। 

 

पात्र:

 

1. तन्वी मल्होत्रा – प्रमुख टीवी एंकर
2. प्रकाश चौहान – विदेश मंत्री
3. अब्दुल राशिद – पाकिस्तान का राजनयिक (यूएन प्रतिनिधि) 
4. स्वाती मिश्रा – मानवाधिकार कार्यकर्ता
5. कबीर वर्मा – कॉलेज छात्र नेता
6. (अन्य – संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्य, पत्रकार, वैश्विक नेता) 

 

(प्रवेश–मीडिया स्टुडियो में टीवी स्क्रीन पर पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों का वीडियो फ़्लैश होता है) 

 

तन्वी मल्होत्रा (कैमरे में):

“भारत आज पूरी दुनिया को ये दिखा रहा है—पाकिस्तान का असली चेहरा, वो जो छिपा रहा है। पहलगाम में हिंदू पर्यटकों के नरसंहार में पाकिस्तान के प्रायोजन के स्पष्ट सबूत हैं!”

 

(स्क्रीन पर पाकिस्तान से जुड़े आतंकी ट्रेनिंग कैंपों की तस्वीरें दिखाई जाती हैं)

 

प्रकाश चौहान (विदेश मंत्री, कैमरे की ओर):

“हमारा संदेश साफ़ है – पाकिस्तान को अब छुपने की कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने न सिर्फ़ हमारे नागरिकों को मारा, बल्कि भारत की शान्तिपूर्ण छवि को चोट पहुँचाई। अब हर देश को उनके असली उद्देश्य का पता चल चुका है।”

 

(सभी देश प्रतिनिधि चौंकते हैं—पाकिस्तान के राजनयिक अब्दुल राशिद कुछ असहज दिखते हैं) 

 

अब्दुल राशिद (बोला, लेकिन कमज़ोर स्वर में):

“यह सब आधारहीन आरोप हैं। पाकिस्तान ने कभी भी किसी प्रकार की आतंकवादी गतिविधि को बढ़ावा नहीं दिया है। हम हमेशा शान्ति चाहते हैं।”

स्वाती मिश्रा (हँसते हुए, कटाक्ष करते हुए):

“पाकिस्तान की शान्ति की कहानियाँ अब पूरी दुनिया जान चुकी है। इस्लामाबाद में बैठकर वो शान्ति का पाठ पढ़ाते हैं, लेकिन कश्मीर में ख़ून बहाते हैं।”

कबीर वर्मा (मंच पर खड़ा, जोश में):

“यह समय उन देशों का है जो अब पाकिस्तान के झूठ को नकारें! हमें इसे न केवल कूटनीतिक रूप से, बल्कि सैनिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध से भी हराना होगा!”

तन्वी मल्होत्रा (नए ब्रेकिंग न्यूज़ के साथ):

“हमारे प्रधानमंत्री ने आज संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के आतंकवाद के ख़िलाफ़ एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पेश किया है। भारत अब हर क़दम पर पाकिस्तान से जवाब लेगा।”

 

(स्क्रीन पर प्रधानमंत्री का संयुक्त राष्ट्र में भाषण–‘आतंकवाद के ख़िलाफ़ निर्णायक कार्रवाई की जरूरत’) 

 

प्रकाश चौहान:

“पाकिस्तान को इसका सबक़ सिखाने का वक़्त अब आ गया है। ये केवल भारत का नहीं, पूरी दुनिया का मामला बन चुका है। कोई भी देश आतंकवाद का समर्थन नहीं कर सकता।”

 

(स्क्रीन पर—वैश्विक नेताओं की प्रतिक्रियाएँ, पाकिस्तान के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंध और सैन्य दबाव के संकेत) 

 

अब्दुल राशिद (घबराए हुए): 

“हम आतंकवाद का समर्थन नहीं करते . . . ये एक संप्रभु राष्ट्र का आंतरिक मामला है!”

स्वाती मिश्रा (कड़ा उत्तर देते हुए): 

“संप्रभुता की बातें छोड़िए। जब आप आतंकियों को संरक्षण देते हैं, तब आपकी संप्रभुता सिर्फ़ एक ढोंग बनकर रह जाती है!”

 

(सभी मीडिया, विशेषज्ञ और विदेश मंत्री के साथ चर्चा जारी रहती है, जिनमें पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एकजुट वैश्विक दबाव साफ़ दिखता है) 

 

(दृश्य समाप्त—म्यूज़िक की बढ़ती तान, भारतीय ध्वज की लहराती हुई छवि के साथ) 

 

दृश्य 5: सीमा पार–भारत का सैन्य ऐलान

 

स्थान: भारतीय सेना का नियंत्रण कक्ष, नियंत्रण रेखा (LoC) और पाकिस्तानी सीमा के पास
स्थिति: भारत सरकार की तरफ़ से पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की योजना। भारतीय सेना पूरी तैयारी में है।

 

पात्र:

 

1. जनरल वीरेंद्र सिंह – भारतीय सेना प्रमुख
2. कर्नल अरुण कुमार – सैन्य अधिकारी, विशेष सर्जिकल यूनिट
3. मेजर राघव – कमांडो अधिकारी
4. श्रीकांत पाटिल – सैन्य विश्लेषक
5. पत्रकार – रिया चौधरी
6. (अन्य: सैनिक, कमांडो, रणनीतिकार) 

 

(प्रवेश–भारतीय सेना का नियंत्रण कक्ष, ड्राइंग बोर्ड पर पाकिस्तान के सीमा पार आतंकियों के ठिकानों की योजना) 

 

जनरल वीरेंद्र सिंह (गंभीरता से):

“हमने देखा, हमने समझा–पाकिस्तान और आतंकियों के पास अब कोई छुपने की जगह नहीं। ये ऑपरेशन सीमाओं के पार नहीं, बल्कि आत्मसम्मान की लड़ाई है।”

 

(फ़्लैशबैक में—पहलगाम के नरसंहार के बाद सैन्य कक्ष में आक्रोशित चेहरे, भारत सरकार द्वारा कड़ी कार्रवाई की योजना) 

 

कर्नल अरुण कुमार (स्मार्टफोन में पाकिस्तान के आंतकी ठिकाने का नक़्शा दिखाते हुए):

“ये वही क्षेत्र है जहाँ से आतंकवादियों ने हमला किया था। हमारा लक्ष्य सिर्फ़ आतंकियों के ठिकाने नहीं, बल्कि पाकिस्तान को यह संदेश देना है—आप जितनी बार हमारे धैर्य की परीक्षा लेंगे, उतनी बार हम आपके ख़िलाफ़ निर्णायक कार्रवाई करेंगे।”

मेजर राघव (दृढ़ स्वर में):

“हमें जो करना है, उसे सही समय पर करना होगा। आतंकियों को सबक़ सिखाने के लिए हम सटीक तरीक़े से घुसेंगे, जैसे हम पहले भी कर चुके हैं।”

 

(सीमा पार—भारतीय सेना की विशेष इकाई की तत्परता दिखाई जाती है। सैनिक अपनी जगहों पर तैयार हैं) 

 

श्रीकांत पाटिल (टीवी स्क्रीन पर, सैन्य विश्लेषक):

“भारत का ये क़दम पूरी दुनिया के लिए एक संदेश है—हम सिर्फ़ आतंकवाद का विरोध नहीं करते, हम उसे हर हाल में नष्ट करेंगे। पाकिस्तान को अब सिर्फ़ एक और सर्जिकल स्ट्राइक नहीं, बल्कि उसकी पूरी आतंकवादी नीति के ख़िलाफ़ कार्रवाई का सामना करना होगा।”

 

(समाचार चैनल पर रिपोर्ट—भारतीय सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की पुष्टि) 

 

रिया चौधरी (पत्रकार, कैमरे में):

“भारतीय सेना के इस हमले को लेकर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अब वैश्विक समर्थन बढ़ने की सम्भावना है। भारत अब पाकिस्तान से न केवल कूटनीतिक, बल्कि सैन्य स्तर पर भी सबक़ लेगा।”

 

(सभी सशस्त्र सेना अधिकारी एकजुट होकर अपनी अंतिम योजना पर चर्चा करते हैं। भारतीय सेना सीमा पार में दाख़िल होने की तैयारी में है) 

 

जनरल वीरेंद्र सिंह (दृढ़ आवाज़ में):

“आज से हर आतंकवादी के लिए भारत का संदेश होगा–अगर तुम हमारे निर्दोष नागरिकों पर हमला करोगे, तो हम तुम्हें अपनी सीमाओं के भीतर ही ध्वस्त कर देंगे।”

 

(फ़िल्मी ध्वनि—एक्शन का स्वर, सेना का क़ाफ़िला पाकिस्तान के सीमा पार जाते हुए) 

 

(दृश्य समाप्त–भारतीय सेना की आगे बढ़ती हुई सेना का दृश्य, तिरंगा लहराते हुए) 

 

दृश्य 6: विजयी भारत–आतंकवाद का अंत

 

स्थान: पाकिस्तान सीमा के अंदर, भारतीय सैनिकों द्वारा ऑपरेशन के बाद का दृश्य। 
स्थिति: भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया है। शान्ति की शुरूआत, और भारत की एकजुटता का प्रतीक बनते हुए आतंकवाद के ख़िलाफ़ निर्णायक संघर्ष। 

 

पात्र:

 

1. जनरल वीरेंद्र सिंह – भारतीय सेना प्रमुख
2. कर्नल अरुण कुमार – सैन्य अधिकारी, विशेष सर्जिकल यूनिट
3. मेजर राघव – कमांडो अधिकारी
4. भारत के प्रधानमंत्री
5. आर.के. त्रिपाठी – विपक्ष के नेता
6. शारदा देवी – शहीद के परिवार की माँ
7. (अन्य: भारतीय सैनिक, पत्रकार, नागरिक) 

 

(प्रवेश—पाकिस्तान के भीतर भारतीय सेना का ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ, आतंकवादियों के ठिकाने नष्ट हो गए। भारतीय सैनिकों की वापसी और तिरंगा लहराते हुए दृश्यों के बीच शान्ति की शुरूआत का संकेत) 

 

जनरल वीरेंद्र सिंह (गंभीर स्वर में):

“हमने जो किया, वह देश के लिए किया। ये केवल सैनिकों का नहीं, भारत के हर एक नागरिक का विजय है। आतंकवादियों का ख़ात्मा हुआ, लेकिन असली जीत तब होगी जब हम अपनी आंतरिक एकता को बरक़रार रखें।”

 

(कर्नल अरुण कुमार सैनिकों के साथ वापस लौटते हुए, एक क्षण का शान्ति और संतोष) 

 

प्रधानमंत्री (संसद में, राष्ट्रीय संवाद देते हुए):

“आज हम एक ऐसी लड़ाई में विजयी हुए हैं जो सिर्फ़ ज़मीन पर नहीं, बल्कि हमारे आत्मविश्वास और एकता में भी लड़ी गई थी। आतंकवाद को हमारी सीमा से बाहर खदेड़ा गया, लेकिन हम सभी को यह याद रखना होगा–यह लड़ाई अभी ख़त्म नहीं हुई। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम एकजुट रहें और हर उस ताक़त को हराएं जो हमारे देश की शान्ति को भंग करने का प्रयास करती है।”

आर.के. त्रिपाठी  (विपक्षी नेता, संसद में): 

“आज हमें गर्व है कि हमारी सेनाएँ हर चुनौती का सामना करती हैं। इस समय राजनीतिक मतभेद भुलाकर हमें एकजुट होना चाहिए, ताकि आतंकवाद का कभी नामोनिशान न रहे।”

 

(सैनिकों का कैमरा पैन—शहीदों की याद में एक जगह श्रद्धांजलि दी जाती है। भारतीय तिरंगा लहराता है, और शारदा देवी उनके परिवार के अन्य सदस्य खड़े होते हैं) 

 

शारदा देवी (गर्व से):

“राजीव ने अपना देश बचाया। अब मुझे गर्व है कि मेरे बेटे ने इस लड़ाई में अपनी जान दी, और उसके बलिदान से इस धरती को शान्ति मिलेगी।”

 

(कर्नल अरुण कुमार और मेजर राघव अपने सैनिकों के साथ लौटते हैं—शारदा देवी के पास जाकर सम्मान व्यक्त करते हैं) 

 

कर्नल अरुण कुमार (गंभीर स्वर में):

“शारदा जी, आपके बेटे का बलिदान हमें आगे बढ़ने की शक्ति देता है। उनका ख़ून व्यर्थ नहीं जाएगा–हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ अंत तक लड़े हैं और लड़ेंगे।”

 

 (प्रधानमंत्री का भाषण जारी, देशभर में तिरंगे लहराते हुए एकजुटता का संदेश) 

 

प्रधानमंत्री:

“आज से, हर भारतीय के दिल में यह भावना होगी–आतंकवाद का ख़ात्मा और एकजुटता की ओर हम क़दम बढ़ा रहे हैं। जो हमसे टकराएगा, वह परास्त होगा। हम सब एक हैं, और जब हम एकजुट होते हैं, तो कोई ताक़त हमें हरा नहीं सकती। 

 

(संगीत के साथ—‘वन्दे मातरम’ की ध्वनि, सैनिकों की वापसी, तिरंगा फहराते हुए दृश्य समाप्त) 

 

दृश्य समाप्त–भारत की विजय का प्रतीक, एकता की शक्ति का उद्घाटन। 

 

यह नाटिका समाप्त होती है, जिसमें एक संघर्ष, बलिदान, और अंततः विजय का संदेश है। 

 

—सुशील शर्मा

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

दोहे
कविता
सांस्कृतिक आलेख
नाटक
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
गीत-नवगीत
कविता-मुक्तक
कहानी
सामाजिक आलेख
काव्य नाटक
लघुकथा
कविता - हाइकु
यात्रा वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
चिन्तन
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
बाल साहित्य कविता
अनूदित कविता
साहित्यिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
एकांकी
स्मृति लेख
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
व्यक्ति चित्र
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में