अधूरा सा

01-01-2025

अधूरा सा

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मैंने कुछ लिखा
उस लिखे को फिर पढ़ा
उसके भाव को तौला
फिर लगा कुछ अधूरा है
फिर कुछ जोड़ तोड़
अर्थों को दिया मोड़
सिर से पैताने तक
कहीं नहीं था
शब्दों और भावों का मेल
ऊँघते शब्द
जम्हाते भाव
शायद कुछ अंदर ही अधूरा था
तो लिखा पूरा कैसे होता। 

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