शिक्षक दिवस

01-09-2025

शिक्षक दिवस

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 283, सितम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

आपने कभी अपने सपनों को
हम पर थोपा नहीं, 
बल्कि हमारे छोटे-छोटे सपनों में
आकाश देखने का हुनर सिखाया। 
 
आपने कभी डाँटा तो
ग़ुस्से में नहीं, 
बल्कि इस डर से
कि कहीं हम
अपने भीतर का उजाला न खो दें। 
 
आपके शब्द
सिर्फ़ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं रहे, 
वे जीवन की किताब के पन्नों पर
सदा चमकते रहेंगे। 
 
आपने हमें समझाया
असफलता हार नहीं, 
बल्कि एक नया रास्ता खोजने की शुरूआत है। 
आपने हमारे आँसू पोंछे, 
और उनमें भविष्य की चमक देखी। 
 
कितनी बार हम भटके, 
कितनी बार हमने ख़ुद को खोया, 
पर आपकी आवाज़
हर बार हमें पुकारती रही
“हिम्मत रखो, 
तुम्हारा रास्ता यहीं से निकलता है।”
 
आज हम चाहे जहाँ भी खड़े हैं, 
जो भी हैं, 
उसमें आपकी छाप है, 
आपकी छाँव है, 
आपका त्याग है। 
 
शिक्षक दिवस पर
हम बस इतना ही कह सकते हैं
आप किताबों में नहीं, 
हमारी धड़कनों में बसते हैं। 
आप हमारे जीवन का वह दीपक हैं
जो अँधेरे को पहचानने के साथ-साथ
हमें उजाला बाँटने का साहस भी देता है। 

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