कुण्डलिया – परशुराम

01-05-2022

कुण्डलिया – परशुराम

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 204, मई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

1.
अंशज भृगु के आप हैं, अतुलित बल मति मन्य। 
मातु रेणुका गर्भ से, प्रकटे वीर सुधन्य। 
प्रकटे वीर सुधन्य, परशु धनु शर के धारी। 
परशुराम हैं नाम, पिता के आज्ञाकारी। 
तुमको नमन सुशील, विप्र कुल के मणि वंशज। 
हरो हमारी पीर, महामुनि भृगु के अंशज। 
2.
हितकारी इस सृष्टि के, परशुराम बल धाम। 
भृगुवंशी जमदग्नि सुत, मातु रेणुका नाम। 
मातु रेणुका नाम, सत्य हित समर भयंकर। 
आतंकों के काल, आपके गुरु शिव शंकर। 
करता नमन सुशील, डरें सब अत्याचारी। 
विप्र शिरोमणि शौर्य, आप सबके हितकारी। 
3.
वाहक होता ज्ञान का, परमारथ प्रति रूप। 
दान दया पुरषार्थ का, शाश्वत रूप अनूप। 
शाश्वत रूप अनूप, धर्म का पालक होता। 
संघर्षों की राह, घृणा की चादर धोता। 
ब्राह्मण सत्य स्वरूप, कुटिल चालों का दाहक। 
विनय विवेक सुबोध, ज्ञान विद्या का वाहक। 

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