मैं दिनकर का वंशज हूँ – 002

15-11-2021

मैं दिनकर का वंशज हूँ – 002

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 193, नवम्बर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

मैं दिनकर का वंशज हूँ
(गीत)

मैं कवि दिनकर का वंशज हूँ,
इतिहास बनाने आया हूँ।
रुधिर खौल कर ज्वाला हो,
वो गीत सुनाने आया हूँ।

(गतांक से आगे )
4.
सप्त सिंधु जिसके पग धोता
हिमगिरि मुकुट सुशोभित है।  
पुण्य भूमि यह भारत माता
जनगण विमल विमोहित है।
गंगा जमुन त्रिवेणी संगम
भारत शुचिता मंदिर है।
जीवन का संगीत मधुरमय
उपवन सकल मनोहर है।
 
पुण्यभूमि की रचना अनुपम
तुम्हें दिखाने आया हूँ।
 
5.
उठो मध्य भारत के लालो
स्वयं शक्ति को पहचानो।
यू पी वाले अब तुम जागो
मन कुछ करने की ठानो।
उठो बिहारी पटना वालो  
सच्चाई से मत भागो।
सुन लो अब सब ओ बंगाली
ख़ुद को मेहनत में पागो।
 
उदयाचल सूरज उगना है
नींद भगाने आया हूँ।
 
6.
राजस्थानी वीरो जागो
क़सम तुम्हें रजपूतों की।
कर्नाटक गोवा की धरती
टीपू शिवा सपूतों की।
जगो उड़ीसा की बालाओ
अपना परचम लहराओ।
तमिलनाडु केरल का गौरव
फिर से वापिस ले आओ।
 
युग युग से भारत का गौरव
आज बताने आया हूँ।
 
7.
महाराष्ट्र का गौरव जागे
केरल का उत्साह जगे।
पूर्वोत्तर की जनता जागो
आंध्रा का विश्वास जगे।
दिल्ली का अनुशासन जागे
पंजाबी अस्तित्व जगे।
जम्मू का वो जीवट जागे
लद्दाखी व्यक्तित्व जगे।
 
सतत सत्य के अनुशीलन का
मान बताने आया हूँ।
 
8.
वेद उपनिषद शुचिता जागे
धर्म ध्वजा आल्हाद जगे।
राम कृष्ण की धरती जागे
मन का वो प्रहलाद जगे।
छत्रसाल बुंदेला जागे
जगे मराठों का अभिमान।
पृथ्वी की वो आँखें जागें
जिनमें था जीवन सम्मान।
 
पुण्यभूमि की गौरव गाथा
आज सुनाने आया हूँ।
 
9.
दलित आदिवासी उठ जागो
जगे ब्राह्मणों का महा तेज।
छत्रिय वैश्य महाबल जागे
कर दो दुश्मन को निस्तेज।
मजदूरों का स्वेद जगे अब
अधिकारों का भाग मिले।
जहाँ जहाँ हैं अत्याचारी
उन्हें न्याय की आग मिले।
 
भारत वैभव की परिभाषा
तुम्हें सिखाने आया हूँ।
 
— क्रमशः

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