सत्य का संदर्भ

01-03-2020

सत्य का संदर्भ

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 151, मार्च प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

सत्य के सन्दर्भ लेकर
झूठ निकले घूमने


शब्दरत्नों की लड़ी में
भाव रूपाकार है।
फूटता हर बुलबुला है
यही जीवन सार है।
अनगिनत कितने इशारे
शब्द लेकिन मौन हैं।
पीठ पर खंजर टिकाए
ये मेरे अपने कौन हैं।


किश्तियाँ फिर किनारों
पर लगीं क्यों डूबने।


सत्य के संघर्ष की
क्यों मौन है अभिव्यक्तियाँ।
आज फिर क्यों सर उठातीं
देश रोधी शक्तियाँ।
आज क्यों संघर्ष घायल
और मृत पुरुषार्थ है।
आज क्यों संवेदनाएँ
स्वार्थ हित हितार्थ हैं।


झूठ के गीतों के संग
हम लगे हैं झूमने।


जुगनुओं की ये शरारत
है चुनौती सूर्य को।
आज फिर ललकारता वह
प्रेम रंजित धैर्य को।
इस तरफ है नींद गहरी
उस तरफ नफरत अटल।
आज संसद मौन व्रत में
शत्रु की चालें सफल।


आज क्यों पथ कंटकों को
हम लगे हैं चूमने।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

काव्य नाटक
सामाजिक आलेख
गीत-नवगीत
दोहे
कविता
लघुकथा
कविता - हाइकु
नाटक
कविता-मुक्तक
यात्रा वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
चिन्तन
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
बाल साहित्य कविता
अनूदित कविता
साहित्यिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
कहानी
एकांकी
स्मृति लेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
व्यक्ति चित्र
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में