जीवन का सबसे सुंदर रंग हो तुम

15-08-2025

जीवन का सबसे सुंदर रंग हो तुम

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 282, अगस्त प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

तुम्हें देखता हूँ तो लगता है
जैसे ऋतुओं ने
अपना सबसे सुंदर रंग
यहीं आकर उतार दिया हो, 
गुलाबी आभा में लिपटी
साँझ की कोमल धूप-सी
तुम मेरे सामने खड़ी हो। 
 
तुम्हें देखता हूँ
तो लगता है
जैसे सृष्टि ने
अपने सारे रंग, 
सारे फूल, 
सारे सुर
तुम्हारी मुस्कान में समेट दिए हों। 
 
तुम्हारे होंठों पर खिला
यह गुलाबी रंग
मेरे दिल की धड़कनों को
गीत बना देता है। 
तुम्हारी आँखों की झीलों में
मैं डूबता हूँ, 
और हर बार
एक नया आसमान पा लेता हूँ। 
 
तुम्हारी मुस्कान, 
जैसे थके मन के लिए
सहसा खुली कोई खिड़की
जहाँ से आती है
सुगंध, 
और भीतर उतर जाती है
शान्ति की गहरी लहर। 
 
तुम्हारी आँखों में
मैंने देखा है
वो आसमान
जहाँ सपनों के तारे
अपनी रोशनी से
मेरी सारी अंधकार मिटा देते हैं। 
 
तुम्हारे गहनों की खनक
जैसे मेरे दिल की धड़कन से
ताल मिलाती हो, 
और तुम्हारे अधरों का रंग
मेरे जीवन के हर अधूरे गीत को
पूरा कर देता है। 
 
तुम्हें देखकर
मुझे यक़ीन हो जाता है
कि प्यार
सिर्फ़ शब्द नहीं, 
बल्कि एक स्पर्श है
जो आत्मा को छूकर
उसका संसार बदल देता है। 
 
तुम्हारे माथे पर चमकता
यह अलंकार
मुझे याद दिलाता है
कि सौंदर्य केवल रूप में नहीं, 
बल्कि उस उजाले में है
जो आत्मा से झलकता है। 
 
जब तुम पास होती हो, 
तो लगता है
जैसे समय ठहर गया हो, 
और मैं उसी ठहरे हुए पल में
हमेशा के लिए जीना चाहता हूँ। 
 
तुम्हारी हँसी की मिठास
मेरे भीतर की थकान को
बर्फ़ की तरह पिघला देती है, 
और तुम्हारे शब्द
मेरे जीवन की किताब में
सबसे सुंदर अध्याय लिखते हैं। 
 
तुम्हें पाकर
मुझे यह यक़ीन हुआ
कि प्रेम केवल धड़कनों की आहट नहीं, 
बल्कि वह शक्ति है
जो जीवन को अर्थ देती है। 

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