मन के रंग

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 290, दिसंबर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)


(हाइकु दिवस पर विशेष)
 
1
दुःख की आँच
करुणा भरे हाथ
मन सुमन।
 
2
सूखे अधर
मुस्कानों की दुकान
निःशुल्क बिक्री।
 
3
थका है मन
जीवन का संघर्ष
रुकना मना।
 
4
अंधी प्रतीक्षा
एक स्पर्श से जागे
मौन विश्वास।
 
5
भीगी पलकें
कंधे पर थपकी
पीड़ा पिघली।
 
6
टूटी उम्मीद
किसी ने हाथ थामा
उतरी धूप।
 
7
ठंडी रात में
मन जले अलाव
बर्फ़ सी आग।
 
8
प्यासा है मन 
तुम शीतल जल
मृग मारीच।
 
9
बोझिल दिन
सूरज भरे दुःख 
संध्या हँसी।
 
10
मन में भीड़
दुःख खड़े मुस्काते
सुख सपना।

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