घर घर फहरे आज तिरंगा

15-08-2022

घर घर फहरे आज तिरंगा

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 211, अगस्त द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

(अमृत महोत्सव पर गीत) 
 
साल पचहत्तर की स्वतंत्रता
चलो प्रेम के दीप जलाएँ। 
घर घर फहरे आज तिरंगा
अमृत महोत्सव चलो मनाएँ। 
 
आन बान निज शान तिरंगा
कोटि जनों की अभिलाषा है। 
भारत का यह गौरव मस्तक
यह भारत की परिभाषा है। 
केसरिया मस्तक है इसका
श्वेत हृदय अति सुखदायक है। 
हरियाली की चरण पादुका
कोटि कोटि मन का नायक है। 
 
गाँधी तिलक सुभाष भगत सिंह
आओ इनके गीत सुनाएँ। 
 
हर घर ऊपर रहे तिरंगा
फर फर फर फर यह फहराए। 
हर दुकान हर गली मोहल्ला
लहर लहर नित यह लहराए। 
हम सबके यह दिल की धड़कन
कभी न ये अब झुकने पाए। 
उज्ज्वल अटल अनादि तिरंगा
जन गण मन का गीत सुनाए। 
 
हम सब मिलकर भारतवासी
पार करेंगे सब बाधाएँ। 
 
यह वंदन है भारत माँ का
यह इस माटी का चंदन है। 
भारत माता का यह मस्तक
कोटि जनों का अभिनंदन है। 
यह क़ुरान की आयत जैसा
यह वेदों का दिव्य मंत्र है। 
सब धर्मों का संरक्षक यह
यह भारत का प्रजातंत्र है। 
 
बच्चे बूढ़े और युवा सब
आओ मिल कर ध्वज फहराएँ। 
साल पचहत्तर की स्वतंत्रता
चलो प्रेम के दीप जलाएँ। 
घर घर फहरे आज तिरंगा
अमृत महोत्सव चलो मनाएँ। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

काव्य नाटक
सामाजिक आलेख
गीत-नवगीत
दोहे
कविता
लघुकथा
कविता - हाइकु
नाटक
कविता-मुक्तक
यात्रा वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
चिन्तन
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
बाल साहित्य कविता
अनूदित कविता
साहित्यिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
कहानी
एकांकी
स्मृति लेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
व्यक्ति चित्र
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में