अच्युत माधव

01-09-2022

अच्युत माधव

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 212, सितम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

अच्युत माधव कृष्ण कन्हैया
कैसे तुमको याद करूँ। 
 
भाद्र कृष्ण अष्टम को जन्मे
वासुदेव के प्यारे तुम। 
मात यशोदा के घर पलते
सबके राज दुलारे तुम। 
गोकुल की गलियों में खेले
सर्वेश्वर जगदीश हरे। 
जगत नियंता हे जग पालक
रासेश्वर मुस्कान भरे। 
 
हे मोहन हे मुरलीवाले
नैनों में छवि आज भरूँ। 
 
तुम हो श्याम सलोने माधव
जीवन के आधार सखे। 
कर्मेश्वर योगेश्वर मोहन
सबके पालनहार सखे। 
रास रचैया जीवन नैया
मधुर मनोहर भोर हरे। 
तुम गोपेश्वर तुम जगदीश्वर
तुम राधा चितचोर हरे। 
 
ब्रज के हो तुम प्राण नियंता
चरणों में मैं शीश धरूँ। 
 
ये जीवन है भूल भुलैया
कंटक पथ है शूल भरा। 
सारा जग है खोटा सिक्का
तुम सोना हो खरा-खरा। 
सारे रिश्ते स्वार्थ भरे हैं
तुम निर्लिप्त निःस्वार्थ प्रभु। 
मुझ पापी को आप सम्हालो
जीवन शुद्ध कृष्णार्थ प्रभु। 
 
मैं खल कामी मोह फँसा हूँ
कैसे अपने पाप हरूँ। 

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