हरितालिका व्रत पर दोहे

01-09-2025

हरितालिका व्रत पर दोहे

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 283, सितम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

भाद्र तीज का व्रत कठिन, निर्जल व्रत उपवास। 
शिव पूजन नारी करें, पति जीवन की आस॥
 
काया तप की दीपिका, मन श्रद्धा का द्वार। 
भाद्र तीज की रात में, सजे प्रेम संसार॥
 
भाद्र तीज में नारियाँ, करतीं मंगल गान। 
पार्वती संग शिव हृदय, प्रेमामृत का पान॥
 
निर्जल व्रत उपवास है, मन में ख़ुशी अपार। 
पिया आयु की दीर्घता, व्रत का है आधार॥
 
सखी संग मिल पूजतीं, उमा संग शिव आज। 
सुखी रहें परिवार संग, पूरे हों सब काज॥
 
धरा सजी हरियाल से, सखियाँ झूलें डार। 
मन मंदिर में पूजतीं, उमा महेश उदार॥
 
पति की आयु कामना, जीवन सुख का संग। 
भाद्र तीज का व्रत भरे, मन में मधुर उमंग॥
 
शिव शंकर की आरती, पार्वती का ध्यान। 
तन-मन सब अर्पित करे, पावन हो अभियान॥
 
भक्ति-भाव के फूल से, सजा फुलेरा तीज। 
निर्जल व्रत निशि जागरण, पिया प्रेम के बीज। 
 
तीजा व्रत की साधना, मन में उमा महेश। 
सुखी रहें परिवार सब, सारे मिटें क्लेश। 
 
आशीषों की बारिशें, पूरण सब अरमान। 
भाद्र शुक्ल की तीज का, अटल सुहाग विधान॥

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
कविता - हाइकु
सामाजिक आलेख
सांस्कृतिक आलेख
चिन्तन
लघुकथा
व्यक्ति चित्र
किशोर साहित्य कहानी
कहानी
कविता - क्षणिका
दोहे
सांस्कृतिक कथा
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
ललित निबन्ध
साहित्यिक आलेख
कविता-मुक्तक
गीत-नवगीत
स्वास्थ्य
स्मृति लेख
खण्डकाव्य
ऐतिहासिक
बाल साहित्य कविता
नाटक
रेखाचित्र
काम की बात
काव्य नाटक
यात्रा वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
अनूदित कविता
किशोर साहित्य कविता
एकांकी
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में