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    कैनेडा का हिंदी साहित्य
    कैनेडा का हिंदी साहित्य कैनेडा का नाम भारत में और विशेष रूप से पंजाब प्रांत में बहुत आत्मीयता से लिया जाता है।.. आगे पढ़ें
अच्छा लगता है
कवयित्री: डॉ. मधु संधु - अच्छा लगता है

साहित्य कुञ्ज के इस अंक में

कहानियाँ

आडंबर 

  “माँ कैसी लगीं?” रेवती मेरे परिवार से आज पहली बार मिली है।  “असुरक्षित और किसी अस्फुट दबाव से ग्रस्त,” किसी को भी पहली बार मिलने के बाद उस का विश्लेषण और व्याख्या करने को तत्पर रहने वाली रेवती तत्काल आगे पढ़ें


खरा रेशम

  पैदल चलने का ज़माना था।  कड़ी धूप में क़रीब दो कोस दूर शहर से रेशम लेकर लौटा घेवा राम, अपने माथे के पसीने को पोंछते हुए मालिकिन से बोला, “लो मालिकिन, रेशम।”  मालिकिन के साथ एक छायादार पेड़ की आगे पढ़ें


दैत्य का बाल

मूल कहानी: ल, ओरको कॉन लि पेने; चयन एवं पुनर्कथन: इतालो कैल्विनो अंग्रेज़ी में अनूदित: जॉर्ज मार्टिन (द फ़ेदर्ड ऑग्र); पुस्तक का नाम: इटालियन फ़ोकटेल्स;  हिन्दी में अनुवाद: ‘दैत्य का बाल’ सरोजिनी पाण्डेय   किसी देश का राजा एक बार आगे पढ़ें


नई परम्परा

  विजय के पिता जी का स्वर्गवास हो गया था। उनके ख़ानदान में परपरा थी कि स्वर्गवासी के फूलों (अस्थियों) को गंगा जी में विसर्जित किया जाता था। वह अपने पिता की आत्मिक शान्ति के लिए हरिद्वार चल पड़ा। जैसे आगे पढ़ें


नक़ाब के पार

  अकरम की माशूक़ा बहुत निराली थी। वह ख़ुद को मॉडर्न बताती थी पर थी बिल्कुल उसके उलट! हमेशा नक़ाब में रहती थी।  “माफ़ करना बहुत सुंदर हो क्या इसलिए अपना चेहरा नहीं दिखाती ताकि तुझे मेरी नज़र न लग आगे पढ़ें


बुद्धं शरणम् गच्छामि

  यक़ीन कीजिए अभी-अभी दम लेने बैठा था। आज दो किलोमीटर पैदल मार्च करना पड़ा था। न कोई मोटर साइकिल वाला न ही कोई साइकिल वाला रास्ते में मिला कि बैठाये लिए चलता। कमबख़्त या फ़ुज़ूल में कितना लड़ाते हैं आगे पढ़ें


रौनक़

कुछ समय पहले एक परिवार दूर से आकर शहर की नवनिर्मित कॉलोनी में रहने लगा। घर में कुल तीन सदस्य थे—पति, पत्नी और बेटी। उन्होंने घर बना-बनाया ख़रीदा था। पैसे तो बहुत ख़र्च हुए थे, लेकिन खुला होने के कारण आगे पढ़ें


विदाई के पल: हँसी और आँसुओं की अनकही कहानी

  नया सूरज, नई ज़िंदगी, और एक नई शुरूआत। शादी के अगले दिन का माहौल ससुराल में हलचल भरा था। सुबह से ही घर में रस्मों की तैयारी चल रही थी। लड़की के मायके वाले—माता-पिता और रिश्तेदार—बेटी के ससुराल पहली आगे पढ़ें


साज़िश 

  विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं को रखा जाना था। हालाँकि नवीन ने निजी तौर पर पढ़ाई की, अपितु इसके, उसकी योग्यता उत्कृष्ट थी। उसे इसके लिए चुने जाने की सौ फ़ीसदी उम्मीद थी।  इंटरव्यू का दिन आ गया। शॉर्टलिस्ट के बाद आगे पढ़ें


ज़िन्दगी रुकती नहीं

  “शर्मा जी!” गेट के बाहर से ज़ोर से आवाज़ आई। मैंने पहचान तो ली आवाज़ लेकिन ज़रा सा हैरान हुआ। दीपक जी की आवाज़ सुनकर।  बाहर निकला तो देखा हमेशा की तरह दीपक जी पूरी तरह तैयार होकर खड़े आगे पढ़ें


फ़ैसला

  “बेटा तुम्हारा परिणाम क्या रहा? मैंने सुना है कि आज के अख़बार में एचसीएस का परिणाम आया है,” महेन्द्र के पिताजी ने उससे उत्सुकता पूर्वक पूछा।  “हाँ, पिताजी आज परिणाम आ गया लेकिन मेरा चयन नहीं हुआ। शायद मेरी आगे पढ़ें


हास्य/व्यंग्य

ताक़तवर कौन?

  हाथी: जंगल के राजा, इंसान के मेहमान, और सरकार के लिए आँकड़े   बांधवगढ़ नेशनल पार्क, जो अपनी बाघों की गिनती में मशहूर है, आज 11 हाथियों की गिनती से शर्मिंदा है। लगता है, हाथियों ने जंगल में जीने आगे पढ़ें


दास्तान-ए-साँड़

दास्तान-ए-साँड़

जन्म दिवस मेरा अभी दूर है। परिवार में एक महीने पहले ही चर्चा शुरू हो गई है कि इस दिवस को कैसे अनूठा बनाया जाए। इस बार गायों को चारा और गुड़ खिलाकर मनाने का फ़ैसला हुआ है। शहर में आगे पढ़ें


प्लास्टर वाली टाँग

प्लास्टर वाली टाँग

आप चाहते हैं कि आप हमेशा दुनिया की नज़रों में बने रहें, सबकी निगाहें आप पर टिकी रहें। जिस गली से गुज़रें, लोग आपको देखकर रुक जाएँ, हाल-चाल पूछें, आपको याद करें। बस, आप आ जाइए हमारे पास, लगवा लीजिए आगे पढ़ें


मज़ा

  आज का व्यंग्य है मज़ा!  मज़ा ना आता है . . . ना मज़ा जाता है . . .  मज़ा तो लिया जाता है . . .॥ मज़ा लेने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। तो चलते हैं आगे पढ़ें


यमराज के सुतंत्र में गुरुजी

  अपने गुरुजी अपने स्कूल के बाहर अपनी क्लास को पढ़ा रहे थे कि अचानक प्रधानजी कहीं से अपने गुर्गों के साथ आ टपके। पता नहीं किस बात पर उन्होंने गुरुजी को जमकर नापा। उनके नापते ही गुरुजी को पता आगे पढ़ें


राजनीति के प्रपंच

  अंतरिक्ष में पत्नी के साथ विचरण करते हुए प्रभो बोले, “प्रिये, आओ तुम्हें भू लोक में भारतवर्ष के उस राज्य में ले चलते हैं जहाँ चुनावी माहौल है।” “मैं भी आपसे यही कहने वाली थी, अंतर्यामी।” कहने की देर आगे पढ़ें


सोचने समझने के फ़ायदे

  आज के बनावटी व्यस्तता के युग में समझदार बहुतायत में पाए जा रहे हैं।  आज मेरे पास आपके लिए एक प्रश्न है। इसका उत्तर, जो दे उसका भला, जो न दे, उसका भी भला। इतना आग्रह ज़रूर है कि आगे पढ़ें


आलेख

अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना

  जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं।  तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं॥ गुड़हल पुष्प के समान अरुणिमा वाले, महान तेज को धारण करने वाले, अंधकार का नाश करने वाले, सभी पापों को दूर करने वाले, महर्षि कश्यप के पुत्र सूर्यदेव को मेरा प्रणाम।  आगे पढ़ें


ऑनलाइन धोखाधड़ी एवं बचाव

  दोस्तों, आज के डिजिटल युग में, हमारी ज़िंदगी ऑनलाइन हो गई है। लेकिन जहाँ सुविधाएँ बढ़ी हैं, वहीं ख़तरे भी बढ़ गए हैं। मैं आपको बताने जा रही हूँ कि स्कैमर्स किस तरह हमें धोखा देने की कोशिश करते आगे पढ़ें


कुछ अनुभव कुछ यादें—स्लीप ओवर 

कुछ अनुभव कुछ यादें—स्लीप ओवर 

  यूरोप, अमेरिका, कैनेडा, ऑस्ट्रेलिया में बच्चों व टीनएजर के लिए स्लीप ओवर! (मनभावन मित्रों के साथ रात बिताना) एक इम्पोर्टेन्ट इवेंट है। अंग्रेज़ी कहानियों और उपन्यासों में, इसका बहुत ही रोचक विस्मयकारी रोमांचक वर्णन विस्तार से मिलता है। बच्चे आगे पढ़ें


जौहर—नारी अस्मिता का हथियार या भावनात्मक आत्महनन 

जौहर—नारी अस्मिता का हथियार या भावनात्मक आत्महनन 

जौहर शब्द ‘जीव’ और ‘हर’ से मिलकर बना है, जिसका तात्पर्य है, अपनी अस्मिता की, अपनी पवित्रता की सुरक्षा के लिए किया गया आत्मोसर्ग। यह भारतीय पुरातन संस्कृति की उच्चतम मान्यताओं और परम्पराओं में से एक कही जा सकती है। आगे पढ़ें


बिहार की महिला ग़ज़लकारों का ग़ज़ल लेखन

  हिंदी कविता में ग़ज़ल को हमेशा ख़ारिज करने की कोशिश की गई है। यही कारण है कि हिंदी साहित्य का इतिहास लिखते हुए हिंदी ग़ज़ल को नज़रअंदाज़ किया गया। यह अलग बात है कि ग़ज़ल की निरंतर बढ़ती लोकप्रियता आगे पढ़ें


विनोद कुमार श्रीवास्तव की काव्य दृष्टि: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

  सारांश: विनोद कुमार श्रीवास्तव की काव्य दृष्टि, एक व्यापक दृष्टि है, उसे अनेक राह एक साथ नज़र आती हैं। जो यथार्थवादी और मूल्यान्वेषी है। अपनी कविताओं में उन्होंने सतहीपन को तोड़कर कथ्य का विश्लेषण बड़ी गहराई से किया है। आगे पढ़ें


सोद्देश्यपरक दीर्घ कहानियों के प्रमुख स्तम्भ: श्री हरिचरण प्रकाश 

  श्री हरिचरण प्रकाश हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध कथाकार एवं प्रबुद्ध चिंतक हैं। हिन्दी साहित्य की त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका ‘वचन’ 2021 के 17-18 अंक, ‘वर्तमान साहित्य’ के मई-जून के संयुक्तांक 2022, ‘आलोचना’ के त्रैमासिक अंक जनवरी-मार्च 2021 के अतिरिक्त ‘व्यंजना’ आगे पढ़ें


हिंदीतर गायकों का हिंदी भाषा में योगदान

  हिंदुस्तानी संगीत में हिंदी भाषा का महत्त्व अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। हिंदी भाषा न केवल इस संगीत शैली की अभिव्यक्ति का माध्यम है, बल्कि यह उसकी आत्मा भी है। हिंदुस्तानी संगीत की विभिन्न शैलियों जैसे ध्रुपद, ख़्याल, ठुमरी, और भजन आगे पढ़ें


समीक्षा

बालमन का सुन्दर विश्लेषण करती है बाल-प्रज्ञान

बालमन का सुन्दर विश्लेषण करती है बाल-प्रज्ञान

सन् 1989 में हरियाणा में जन्मे डॉ. सत्यवान सौरभ बालसाहित्य के एक सुपरिचित हस्ताक्षर हैं। साहित्यकार, पत्रकार और अनुवादक डॉ. सत्यवान सौरभ ने बच्चों के साथ ही बड़ों के लिए भी विपुल साहित्य सर्जन किया है। बाल कविता की पुस्तकों आगे पढ़ें


वैश्विक परिदृश्य में हिंदी पत्रकारिता का ख़ज़ाना

वैश्विक परिदृश्य में हिंदी पत्रकारिता का ख़ज़ाना

पुस्तक का नाम: विदेश में हिंदी पत्रकारिता लेखक: जवाहर कर्नावट प्रकाशक: नेशनल बुक ट्रस्ट, नेहरू भवन, 5 इंस्टीट्यूशनल एरिया, फेस-II, वसंत कुञ्ज, नई दिल्ली 110070  पृष्ठ: 294,  मूल्य: ₹400.00 समाज में सूचना का आदान-प्रदान मनुष्य की आवश्यकता है और इसकी आगे पढ़ें


स्मृतियों के तलघर

स्मृतियों के तलघर

‘स्मृतियों के तलघर’ बलजीत सैली का रश्मि प्रकाशन, लखनऊ से 2022 में प्रकाशित संस्मरण संकलन है। सैली बलजीत पेशे से इंजीनियर होते हुए भी साहित्यकार हैं—उपन्यासकार, कवि, संस्मरणकार और सबसे बढ़कर कहानीकार। विज्ञान के छात्र रहे, लेकिन विद्यार्थी जीवन में आगे पढ़ें


संस्मरण

कश्मीरी भाईसाहब: वे हमारे घर के क़िस्से-कहानियों वाले प्रेमचंद थे

कश्मीरी भाईसाहब: वे हमारे घर के क़िस्से-कहानियों वाले प्रेमचंद थे

  मैं अपने बचपन के बारे में सोचता हूँ, तो कई बार किसी विचित्र भूलभुलैया में पड़ जाता हूँ, जहाँ एक से एक सुंदर और रहस्यों भरी दुनियाओं के परदे खुलते हैं, और जिधर भी पैर उठ जाएँ, वहाँ कोई आगे पढ़ें


मुक्तेश्वर की सैर और मेरे निजी अनुभव 

मुक्तेश्वर की सैर और मेरे निजी अनुभव 

  उत्तराखंड का कुमाऊँ क्षेत्र, अरण्य की शान्ति, छोटी छोटी जलधाराओं की मधुर ध्वनि और हिमाच्छादित चोटियों की शान्ति से गूँजता हुआ एक मौन . . . इस शांत वातावरण के बीच स्थित है, एक सुंदर स्थान, मुक्तेश्वर। यह ऐसा आगे पढ़ें


मुनस्यारी (उत्तराखण्ड) यात्रा-02

मुनस्यारी (उत्तराखण्ड) यात्रा-02

  मुनस्यारी से लौटते हुए हिमालय को देखा, जहाँ से कहा जाता है पांडवों ने अन्तिम बार पाँच चूल्हे उन शिखरों पर लगाये, इसलिए इन्हें पंचाचूली कहा जाता है। वन से कार जा रही है। पांडवों के वनवास के समय आगे पढ़ें


अन्य

तेजपाल सिंह ‘तेज’ के ग़ज़ल संग्रह ‘कौन दिशा में उड़े चिरैया’ पर परिचर्चा गोष्ठी

तेजपाल सिंह ‘तेज’ के ग़ज़ल संग्रह ‘कौन दिशा में उड़े चिरैया’ पर परिचर्चा गोष्ठी

  ग़ज़लशाला तेजपाल सिंह ‘तेज’ की गज़लें मुख्यतः जन-सरोकार और जनतांत्रिक मूल्यों की ग़ज़लें हैं: डॉ. कुसुम वियोगी प्रस्तुति: डॉ. गीता कृष्णांगी पुस्तक: कौन दिशा में उड़े चिरैया लेखक: तेजपाल सिंह ‘तेज’ प्रकाशक: बुक रिवर्स, लखनऊ (उ.प्र.)  वेबसाइट: www.bookrivers.com प्रकाशक आगे पढ़ें


साक्षात्कार

विभाजन के प्रहार से दरकी हुई धरती

  (प्रसिद्ध साहित्यकार, ग़ज़लकार एवं अनुवादक देवी नागरानी जी से बात-चीत)   देश विभाजन की पृष्ठभूमि के आधार पर कच्छ और सिंध की स्थितियों पर पुस्तक लिखने का कार्य जारी है। देवी नागरानी उन महानुभावों में से एक हैं, जो आगे पढ़ें


कविताएँ

शायरी

समाचार

साहित्य जगत - विदेश

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा उज़्बेकिस्तान में खोज रहे हैं हिंदी की नई बोलियाँ

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा उज़्बेकिस्तान में खोज रहे हैं हिंदी की..

7 Oct, 2024

माना जाता है कि दूसरी शताब्दी के आस पास कुछ घुमंतू जातियाँ मध्य एशिया, अफ़्रीका, यूरोप और अमेरिका की तरफ़…

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उज़्बेकिस्तान में एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न

उज़्बेकिस्तान में एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न

23 Sep, 2024

  बुधवार, दिनांक 18 सितंबर 2024 को लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केन्द्र, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद…

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वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा का योगदान विषयक त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन संपन्न 

वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा का योगदान विषयक त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय..

14 Sep, 2024

त्रिनिदाद यात्रा से डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा की रिपोर्ट हिंदी है हृदय की भाषा: रेणुका संग्रामसिंह सुखलाल व्यावहारिक स्तर पर हिंदी…

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साहित्य जगत - भारत

पाठ्यपुस्तकों में त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ

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6 Dec, 2024

  साहित्यकार एवं सुपरिचित कुण्डलियाकार और उत्तर पश्चिम रेलवे में इंजीनियर त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ विभिन्न पाठ्यपुस्तकों में संकलित…

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19 नवम्बर को कुण्डलिया दिवस के रूप में मनाया गया

19 नवम्बर को कुण्डलिया दिवस के रूप में मनाया गया

22 Nov, 2024

सुपरिचित कुण्डलियाकार और साहित्यकार त्रिलोक सिंह ठकुरेला के आह्वान पर साहित्यकारों द्वारा 19 नवम्बर को ‘कुण्डलिया दिवस’ के रूप में…

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34वीं तमिलनाडु राज्य स्तरीय रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण

34वीं तमिलनाडु राज्य स्तरीय रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप में..

24 Oct, 2024

चेन्नई,  20.10.2024  तमिलनाडु रोलर स्केटिंग एसोसिएशन द्वारा चेन्नई स्थित शेनोय नगर स्केटिंग रिंक में 34वाँ तमिलनाडु राज्य स्तरीय रोलर स्केटिंग…

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साहित्य जगत - भारत

राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गाहलियां में धूमधाम से मनाया वार्षिकोत्सव 

राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गाहलियां में धूमधाम..

6 Dec, 2024

   कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गाहलियां में वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह आयोजित किया गया। समारोह की…

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लघुकथा सर्वाधिक आकर्षित करने वाली विधा है—डॉ. विकास दवे 

लघुकथा सर्वाधिक आकर्षित करने वाली विधा है—डॉ. विकास दवे 

22 Nov, 2024

नगर की साहित्यिक संस्था क्षितिज के द्वारा आयोजित किए गए सप्तम अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन 2024 में अध्यक्ष पद से…

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राष्ट्रपाल गौतम के एकांकी नाटक ‘गोबर के गेहूँ’ पर परिचर्चा 

राष्ट्रपाल गौतम के एकांकी नाटक ‘गोबर के गेहूँ’ पर परिचर्चा 

24 Oct, 2024

  नव दलित लेखक संघ, दिल्ली ने ‘नाटक और कविता की संगत’ नामक गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी में सर्वप्रथम…

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